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Bihar : जहरीली शराब से गांवों में पसरा मातम, मृतकों की संख्‍या बढ़कर 25 हुई, CM नीतीश ने दिए कड़े निर्देश

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

सिवान/छपरा , गुरुवार, 17 अक्टूबर 2024 (19:16 IST)
Illicit liquor tragedy : बिहार के सिवान और सारण जिलों में जहरीली शराब पीने से अब तक इस त्रासदी में मरने वालों की संख्या बढ़कर 25 हो गई है। नकली शराब बेचने के मामले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संबंधित अधिकारियों को इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। वहीं दूसरी ओर मौतों को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है।
 
अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संबंधित अधिकारियों को इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है और लोगों को शराब पीने के दुष्परिणामों की याद दिलाई।
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पुलिस महानिदेशक आलोक राज ने बताया कि नकली शराब पीने से सिवान में 20 और सारण में 5 लोगों की मौत हो गयी और 12 लोगों को नकली शराब बेचने के लिए गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

राज ने बताया, घटना के बाद दो विशेष जांच दल भी गठित किए गए हैं। स्थानीय स्तर पर गठित एक दल नवीनतम प्रकरण में शामिल आपराधिक बिंदुओं की जांच करेगा। इसके अलावा पटना में मद्य निषेध विभाग द्वारा एक और एसआईटी गठित की गई है, जो हाल के दिनों में हुई ऐसी सभी घटनाओं का व्यापक अध्ययन करेगी, जिसके आधार पर कार्रवाई की योजना बनाई जाएगी।
 
अधिकारी ने यह भी बताया कि एक शराब माफिया का नाम सामने आया है। वह पहले भी इसी तरह के एक मामले में शामिल था और फिलहाल जमानत पर बाहर है। उन्होंने बताया कि हम मामले की सभी संभावित पहलुओं से जांच कर रहे हैं। दोनों जिलों के अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार रात सिवान के मगहर व औरिया पंचायत और सारण के मशरख में उस समय यह घटना हुई, जब कई स्थानीय लोगों ने शराब पी।

सिवान और सारण में जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार सरकार द्वारा लगभग आठ साल पहले शराब की बिक्री और सेवन पर लगाए गए प्रतिबंध की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए।

राज्य के मद्य निषेध मंत्री रत्नेश सदा ने शराब माफिया पर लगाम लगाने के लिए कठोर सीसीए (अपराध नियंत्रण अधिनियम) लाने की बात कही लेकिन पत्रकारों द्वारा शराबबंदी कानून की कथित विफलता के बारे में पूछे जाने पर वह भड़क गए।
 
कांग्रेस की बिहार इकाई के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, केवल सीसीए क्यों? दोषियों को फांसी पर लटका देना चाहिए। किसी को भी नहीं छोड़ना चाहिए, भले ही संदिग्ध किसी भी विपक्षी दल से जुड़े हों। लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार अपनी शराबबंदी नीति की समीक्षा करे, जो नकली शराब की बिक्री को रोकने में विफल रही है। राज्यसभा सांसद ने यह भी कहा कि पार्टी ने सात सदस्यीय तथ्यान्वेषी दल का गठन किया है, जो प्रभावित इलाकों का दौरा करेगा और कांग्रेस नेतृत्व को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
 
सीवान की दरौली सीट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा)- मार्क्सवादी लेनिनवादी (माले) विधायक सत्यदेव राम ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया और आरोप लगाया, प्रशासन पूरी बात को दबाने पर आमादा है। कम से कम 60 गांवों के निवासियों ने शराब पी है। यह इतने बड़े पैमाने पर नहीं हो सकता था, जब तक कि अवैध व्यापार में शामिल लोगों को स्थानीय प्रशासन का संरक्षण न मिल रहा हो।
स्थानीय पुलिस अधिकारियों के अनुसार दोनों जिलों के 20 से अधिक लोग का सिवान, सारण और पटना जिलों के विभिन्न अस्पतालों में उपचार किया जा रहा है। सारण जिला प्रशासन द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक बयान में कहा गया, सारण जिले के कम से कम सात लोगों को बेहतर इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) रेफर किया गया है।
 
यह भी बताया गया कि जिला पुलिस ने मामले दर्ज कर लिए हैं और जांच कर रही है। डीआइजी ने कहा, शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। घटना का सही कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही पता चल पाएगा। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने पांच अप्रैल 2016 को शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।
ग्रामीणों ने दावा किया कि इन लोगों ने मंगलवार रात जहरीली शराब पी थी, जिसके बाद वे बीमार पड़ गए। अधिकारियों ने अभी तक मृतकों और इलाज करा रहे लोगों की पहचान उजागर नहीं की है। जिलाधिकारी ने बुधवार को कहा था, पहले ही उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। निषेध और उत्पाद शुल्क विभाग के अधिकारियों की एक टीम मामले की जांच कर रही है।
इस बीच, दोनों जिलों के प्रशासन ने बृहस्पतिवार को मगहर, औरिया और इब्राहिमपुर क्षेत्रों के तीन चौकीदारों को निलंबित कर दिया है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया, स्थानीय पुलिस थाने के अधिकारियों के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई शुरू की जाएगी। कम से कम पांच स्थानीय पुलिस अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
 
बिहार सरकार ने हाल ही में स्वीकार किया था कि अप्रैल 2016 में राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद अवैध शराब के सेवन से 150 से अधिक लोगों की मौत हुई है। इस बीच, बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री ने सिवान और सारण में शराब के सेवन से हुई मौतों के मामले की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को व्यक्तिगत रूप से स्थिति की निगरानी करने और अपराध में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
 
इसमें कहा गया, मुख्यमंत्री ने मद्य निषेध और उत्पाद विभाग के सचिव विनोद सिंह गुंजियाल और बिहार पुलिस के एडीजी (मद्य निषेध) को व्यक्तिगत रूप से उस क्षेत्र का दौरा करने और घटना की गहन जांच करने का निर्देश दिया। यह भी कहा कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
 
घटना पर टिप्पणी करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, सत्ता संरक्षण में जहरीली शराब के कारण 27 लोगों की हत्या कर दी गई है। दर्जनों की आंखों की रोशनी चली गई। बिहार में शराबबंदी है लेकिन सत्ताधारी नेताओं, पुलिस और माफिया के गठजोड़ के कारण हर चौक-चौराहों पर शराब उपलब्ध है।
उन्होंने कहा, इतने लोग मारे गए लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक-संवेदना तक व्यक्त नहीं की। जहरीली शराब से, अपराध से प्रतिदिन सैकड़ों बिहारवासी मारे जाते हैं लेकिन अनैतिक और सिद्धांतहीन राजनीति के पुरोधा मुख्यमंत्री और उनकी ‘किचन’ कैबिनेट के लिए यह सामान्य बात है।
 
राजद नेता ने कहा, कितने भी लोग मारे जाएं लेकिन मजाल है किसी वरीय अधिकारी पर कोई कारवाई हो। इसके विपरीत उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल उठाते हुए कहा, अगर शराबबंदी के बावजूद हर चौक-चौराहे शराब उपलब्ध है तो क्या यह गृह विभाग और मुख्यमंत्री की विफलता नहीं है? क्या मुख्यमंत्री जी होशमंद हैं? क्या मुख्यमंत्री ऐसी घटनाओं पर कार्रवाई करने और सोचने में सक्षम तथा समर्थ हैं? इन हत्याओं का दोषी कौन? (एजेंसियां)
Edited By : Chetan Gour

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