बहू को बेटी माना, लेकिन उसने हमें मेडल तक छूने नहीं दिया, शहीद Anshuman Singh के पिता का छलका दर्द

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शनिवार, 13 जुलाई 2024 (13:09 IST)
कैप्‍टन Anshuman Singh के शहीद होने पर घर छोड़कर चली गई बहू स्‍मृति सिंह
परिवार ने की
NOK नियमों में बदलाव की मांग

पिछले साल कैप्टन अंशुमान सिंह सियाचिन में आग लगने की एक घटना में शहीद हो गए थे। इस साल मरणोंपरांत उन्‍हें कीर्ति चक्र से सम्‍मानित किया गया। उनकी पत्‍नी स्‍मृति सिंह ने यह सम्‍मान ग्रहण किया। लेकिन अब शहीद अंशुमान सिंह के परिवार से एक नया विवाद सामने आया है।

शहीद कैप्‍टन अंशुमान सिंह के परिवार ने आरोप लगाया है कि है। उनके बेटे की शहादत के बाद उनकी बहू स्मृति सिंह ने घर छोड़ दिया है, जिससे वे दुखी हैं। उन्‍होंने आरोप लगाया कि उनके बेटे को सम्‍मानित किए जाने पर मिलने वाले मेडल तक को उन्‍हें छूने नहीं दिया गया।

मीडिया में की बातचीत के दौरान शहीद कैप्‍टन अंशुमान सिंह की मां ने आरोप लगाया कि उनकी बहू स्‍मृति सिंह ने उनका फोन ब्‍लॉक कर दिया और जब बेटे को सम्‍मान मिला तो बहू ने उन्‍हें बताया तक नहीं। उन्‍हें तो टीवी की खबरों से सम्‍मान के बारे में पता चला। इस पूरे मामले को लेकर अब सोशल मीडिया में बहस चल रही है। इस बीच बताया जा रहा है कि स्‍मृति सिंह हायर स्‍टडीज के लिए विदेश चली गईं हैं।

नियमों में बदलाव की मांग : इस पूरे विवाद के बाद शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने भारतीय सेना के Next of Kin (NOK) नियमों में बदलाव की मांग की है। उनके बेटे की शहादत के बाद उनकी बहू स्मृति सिंह ने घर छोड़ दिया है, जिससे वे दुखी हैं। कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता, रवि प्रताप सिंह और मंजू सिंह ने भारतीय सेना के NOK (Next of Kin) नियमों में बदलाव की मांग की है। उनका दावा है कि उनके बेटे की मौत के बाद उनकी बहू स्मृति सिंह ने उनका घर छोड़ दिया है और अब ज्यादातर लाभ उठा रही है।

क्‍या कहा अंशुमान के पिता ने : शहीद कैप्‍टन अंशुमान के पिता रवि प्रताप सिंह ने एक खास बातचीत के दौरान बात करते हुए कहा कि एनओके के लिए जो मापदंड तय किया गया है, वह सही नहीं है। मैंने इस बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी बात की है। अंशुमान की पत्नी अब हमारे साथ नहीं रहती हैं, शादी को अभी पांच महीने ही हुए थे और कोई बच्चा नहीं है। हमारे पास केवल हमारे बेटे की एक तस्वीर है जो दीवार पर एक माला के साथ टंगी हुई है। रवि प्रताप सिंह ने कहा कि इसलिए वे चाहते हैं कि NOK की परिभाषा तय की जाए। यह तय किया जाए कि अगर शहीद की पत्नी परिवार में रहती है तो किस पर कितनी निर्भरता है। कैप्टन सिंह की मां ने कहा कि वे चाहती हैं कि सरकार NOK नियमों पर फिर से विचार करें ताकि अन्य माता-पिता को परेशानी ना उठानी पड़े।

पता भी बदलवा लिया : मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक शहीद अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति सरकार की तरफ से दिए गए कीर्ति चक्र को लेकर अपने घर गुरदासपुर चली गई हैं। मेडल के साथ-साथ दस्तावेजों में दर्ज स्थायी पते को भी बदलवाकर उन्होंने अपने घर गुरदासपुर का करवा दिया है।

NOK नियम क्या होते हैं : NOK का मतलब होता है निकटतम रिश्‍तेदार (Next of Kin)। यह शब्द किसी व्यक्ति के सबसे करीबी रिश्तेदार या कानूनी प्रतिनिधि के लिए इस्तेमाल होता है। सेना के नियमों के मुताबिक अगर सेना में किसी व्यक्ति के साथ कुछ हो जाता है, तो एक खास रकम (एक्स-ग्रेसिया) उसके NOK को दी जाती है। जब कोई कैडेट या अधिकारी सेना में शामिल होता है, तो उसके माता-पिता या अभिभावकों का नाम NOK के तौर पर दर्ज किया जाता है। लेकिन जब वह कैडेट या अधिकारी शादी कर लेता है, तो सेना के नियमों के तहत, उसके जीवनसाथी का नाम उसके माता-पिता की जगह NOK के रूप में दर्ज हो जाता है।
Edited By: Navin Rangiyal

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