भारत और पाकिस्तान सीमा पर आने वाले समय में तनाव बढ़ने के आसार हैं। दरअसल, उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी के बयान कि सेना पीओके लेने को तैयार है। सिर्फ आदेश का इंतजार है। जवाब में पाकिस्तान ने चिढ़ते हुए टिप्पणी की है कि भारतीय सेना अपने राजनीतिक आकाओं का चुनावी समर्थन बढ़ाने के लिए गैर जिम्मेदाराना बयान देने से दूर रहे तो क्षेत्रीय शांति के हित में बेहतर होगा।
इससे पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि अभी हमने उत्तर की ओर चलना शुरू किया है। ये यात्रा तब पूरी होगी जब 22 फरवरी 1994 में भारतीय संसद में लाए गए प्रस्ताव को अमल में लाएंगे और उसके तहत हम बाकी बचे हिस्से गिलगित-बाल्टिस्तान तक पहुंचेंगे।
हिमाचल में चुनाव प्रचार के दौरान भी राजनाथ के समक्ष लोगों ने कई बार पीओके का मुद्दे उठाया था। लोगों ने कहा था कि पीओके चाहिए, जवाब में राजनाथ को कहना पड़ा था कि धैर्य रखिए। चिनार कॉर्प्स के लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह औजला का बयान भी लगभग उपेन्द्र द्विवेदी जैसा ही था। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि पीओके के मुद्दे पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हो जाएं।
इस बीच, पाकिस्तान में नए सेना प्रमुख असीम मुनीर की नियुक्ति के चलते भी दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है। मुनीर आईएसआई के चीफ रह चुके हैं और उन पर आरोप है कि 2019 में पुलवामा हमले के दौरान उन्होंने जैश ए मोहम्मद के आतंकवादियों की मदद की थी। इस हमले में भारत के 45 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। मुनीर को आईएसआई का बदनाम चेहरा भी कहा जाता है।
सेना और सरकार में बढ़ सकता है टकराव : विदाई ले रहे पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का यह कहना कि 1971 में भारत के खिलाफ पाकिस्तान को जो करारी शिकस्त मिली थी, उसकी वजह सेना नहीं बल्कि सियासत थी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना बहुत ही जांबाजी से लड़ी थी।
ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि आने वाले समय में सेना और सरकार में टकराव दिखाई पड़े। हालांकि असीम मुनीर को सेना प्रमुख बनाकर शहबाज शरीफ ने एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है। एक तरफ अपनी गठबंधन वाली सरकार पर पकड़ बनाए रखेंगे, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर भी दबाव बना पाएंगे। दरअसल, जिस समय मुनीर आईएसआई के प्रमुख थे, उस समय इमरान के सत्ता में आने पर उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा था। ऐसे में मुनीर कभी नहीं चाहेंगे कि इमरान की सत्ता में वापसी हो।
पाकिस्तान में जब भी सेना 'ताकतवर' स्थिति में होती है तो भारत से तनाव बढ़ता ही है क्योंकि वहां के सैन्य अधिकारी 1965 और 1971 में भारत से मिली करारी हार का 'जख्म' कभी भूल ही नहीं पाते। यही कारण है कि वे पर्दे के पीछे से आतंकवाद को मदद कर भारत के खिलाफ जंग जारी रखते हैं।
दूसरी ओर, शहबाज शरीफ ने भारत से संबंध सुधारने के लिए कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं किए हैं। इसलिए तनाव घटने के बजाय यथास्थिति बनी हुई है। शहबाज उन्हीं नवाज शरीफ के भाई हैं, जिनके कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अचानक पाकिस्तान पहुंच गए थे। नवाज शरीफ के घर जाकर उनके परिजनों से भी मिले थे।
भारत में भी हुआ विवाद : इतना ही नहीं लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी के बयान के बयान के बाद भारत में भी विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, फिल्म अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने द्विवेदी की टिप्पणी पर कुछ इस तरह प्रतिक्रिया दी- गलवान हाय (नमस्ते) कह रहा है। इसके बाद फिल्मी हस्तियों ने ही ऋचा की जमकर लू उतारी।
फिल्मकार अशोक पंडित, अभिनेता अनुपम खेर, अक्षय कुमार समेत कई अन्य अभिनेताओं और नेताओं ने ऋचा के बयान की तीखी आलोचना करते हुए इसे शर्मनाक बताया। अनुपम खेर ने ट्वीट कर कहा था- देश की बुराई करके कुछ लोगों के बीच लोकप्रिय होने की कोशिश करना कायर और छोटे लोगों का काम है। और सेना के सम्मान को दांव पर लगाना…. इससे ज़्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है। हालांकि बाद में इस मामले में ऋचा ने माफी मांग ली।