नई दिल्ली-उज्जैन। दिल्ली के बुराड़ी में संतनगर स्थित भाटिया परिवार के 11 लोगों ने सनसनीखेज ढंग से 3 जुलाई को एकसाथ फांसी लगाकर मौत को गले लगाकर पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस बारे में रोज नए राज खुलते जा रहे हैं। एक और सच पहली बार सामने आया है कि सामूहिक आत्महत्या का कनेक्शन महाकाल की नगरी उज्जैन से है, जहां राजा भर्तृहरि की गुफा में पूरे परिवार ने डेढ़ साल पहले पूजा की थी और यहीं पर एक नाराज तांत्रिक ने मौत का श्राप दिया था।
शादी न हो पाने के कारण तंत्र-मंत्र का सहारा लिया : खबरिया चैनल 'एबीपी' न्यूज ने गुरुवार शाम इसका खुलासा किया कि किस तरह यह परिवार उज्जैन पहुंचा था और उसने परिवार की बेटी प्रियंका की शादी न हो पाने के कारण तंत्र-मंत्र का सहारा लिया था। दिल्ली से उज्जैन की दूरी 780 किलोमीटर है। देशभर में उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए प्रसिद्ध है। दक्षिण मुखी महाकाल का शिवलिंग 12 ज्योर्तिंलिंगों में शामिल है। यहीं पर क्षिप्रा के तट के समीप राजा भर्तृहरि की विश्व प्रसिद्ध गुफाएं हैं। माना जाता है कि इन गुफाओं में राजा भर्तृहरि ने तपस्या की थी। उज्जैन का यह स्थान तंत्र- मंत्र साधना के लिए भी जाना जाता है।
तांत्रिक से हुआ था विवाद : बात डेढ़ साल पहले की है जब पूरा भाटिया परिवार दिल्ली से उज्जैन इसलिए पहुंचा था ताकि मांगलिक प्रियंका की शादी हो जाए। यहां पर पूरे परिवार ने एक तांत्रिक के कहने पर रहस्यमयी पूजा की थी, लेकिन बाद में जब तांत्रिक ने पूजा करने बाद बलि चढ़ाने के लिए रुपयों की मांग की तो विवाद हो गया। तभी तांत्रिक ने पूरे परिवार का सर्वनाश होने का श्राप दिया था कि परिवार के सभी सदस्य डेढ़ साल बाद मर जाएंगे।
रजिस्टर में दर्ज है नदी किनारे का मंदिर : असल में प्रियंका की शादी में होने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए उक्त परिवार ने तांत्रिक का सहारा लिया था और 3 जुलाई 2018 को 11 लोगों की मौत के बाद उनके घर से जो रजिस्टर बरामद हुआ है, उसमें भी जिस नदी किनारे मंदिर का जिक्र किया गया है, वह भर्तृहरि की गुफाओं का ही है। प्रियंका की शादी का मसला तो हल हो गया क्योंकि पिछले महीने ही उसकी सगाई हुई थी और इसी साल उसकी शादी भी होने वाली थी।
तांत्रिक के श्राप का असर : उज्जैन के श्रीकांत धावरे भी भर्तृहरि की गुफा में स्थित मंदिर के भक्त हैं और उन्होंने बताया कि पूरा परिवार यहां आया था और पैसों को लेकर तांत्रिक से उनका विवाद भी हुआ था। तब भाटिया परिवार ने आत्मा के आने और निरंतर निर्देश देने की बात कही थी। विवाद के बाद तांत्रिक ने श्राप भी दिया था जिसके ठीक डेढ़ साल बाद पूरे परिवार की एक साथ घर से 11 लाशें मिलीं।
अघोरी भी पूजा करने आते हैं मंदिर में : भर्तृहरि की गुफाओं का सिद्ध स्थान होने के कारण यहां तंत्र साधना होती रहती है। मंदिर प्रशासन यहां किसी को नहीं रुकने देता। 24 घंटे में तीन बार पूजा होती है। पहली पूजा सुबह 8 बजे, फिर 12 बजे और रात 10 बजे आखिरी पूजा का समय है। मंदिर के मनसुख दास ने समाचार चैनल को बताया कि मंदिर में अघोरी भी पूजा करने आते हैं। उन्होंने कहा कि डेढ़ साल पहले दिल्ली का भाटिया परिवार भी पूजा करने आया था। तब पूरा परिवार फूट फूटकर रोने लगा था।
सविता और नीतू स्टूल के साथ दिखे : 3 जुलाई को सामूहिक आत्महत्या के दिन रात 10 बजकर 12 मिनट के आखिरी सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई दे रहा है कि परिवार की सदस्य सविता और नीतू स्टूल लेकर आए थे। भाटिया परिवार के घर से 100 मीटर की दूरी पर स्थित एक दुकान के सुनील ने बताया कि मेरे यहां से उन्होंने 4 एक जैसे स्टूल खरीदे थे।
पड़ोसियों में खौफ : इस खौफनाक घटना के बाद से ही भाटिया परिवार के पड़ोसी दशहत में हैं और वे लाश बनकर रह गए हैं क्योंकि सभी के चेहरे जेहन में तैरते रहते हैं। यहां पढ़ने वाली छठी कक्षा की छात्रा ने कहा कि मुझे स्कूल से आने में डर लगता है। कई बार अहसास होता है कि कोई पीछे से आ रहा है। यहां की गली से भी गुजरने से भी हम डरते हैं। कॉलेज में पढ़ने वाली यहां की छात्रा ने कहा कि मुझे रातभर नींद नहीं आती। टीवी पर सब देखने के बाद कांप जाती हूं और कभी भी अकेले घर से नहीं निकलती।
डर के कारण लोग बेच रहे हैं घर : संतनगर क्षेत्र में प्रापर्टी डीलर चरणजीत ने बताया कि भाटिया परिवार के 11 लोगों की आत्महत्या के बाद यहां का माहौल बहुत खराब हो चुका है। उन्होंने कहा कि डर के मारे कई लोग मेरे पास घर बेचने का प्रस्ताव लेकर आ रहे हैं। वे अपनी संपत्ति बेचकर कहीं दूर चले जाना चाहते हैं।