नई दिल्ली। चीनी ऐप्स पर बैन लगाने के बाद भारत ने चीन को एक और बड़ा झटका दिया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एंव राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि भारत के हाईवे प्रोजेक्ट में चीन की कंपनियां शामिल नहीं हो पाएंगी। अगर वे किसी भारतीय या फिर अन्य कंपनी के साथ ज्वाइंट वेंचर बनाकर भी बोली लगाती हैं तो भी उन्हें शामिल नहीं किया जाएगा।
गडकरी ने यह भी कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि चीनी निवेशकों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भी निवेश से रोका जाए।
उनके इस बयान को हाल में गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच हुई हिंसक झड़प से जोड़कर देखा जा रहा है। इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। सीमा पर इस विवाद के बीच सरकार ने सोमवार को 59 चीनी मोबाइल ऐप पर भी प्रतिबंध लगाया है।
गडकरी ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि चीनी निवेशक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) जैसे विभिन्न क्षेत्रों में निवेश न कर सकें। गडकरी के पास एमएसएमई मंत्रालय की भी जिम्मेदारी है।
गडकरी ने कहा कि हम सड़क निर्माण के लिए उन संयुक्त उपक्रमों को ठेका नहीं देंगे जिनमें चीन की कंपनी भागीदार होगी। हम इस पर कड़ा रुख बनाए रखेंगे। यदि वे संयुक्त उपक्रम में शामिल होकर भारत आते हैं, हम उन्हें इसकी अनुमति नहीं देंगे।
मंत्री ने कहा कि चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर नीति जल्द पेश कर दी जाएगी। राजमार्ग परियोजनाओं में भारतीय कंपनियों को प्राथमिकता देने के लिए नियम आसान किए जाएंगे।
मौजूदा वक्त में कुछ परियोजनाओं में चीनी कंपनियां पहले से भागीदार हैं, इस बारे में एक सवाल के जवाब में गडकरी ने कहा कि नया निर्णय मौजूदा और भविष्य की निविदाओं पर लागू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यदि किसी परियोजना में शामिल कंपनी की सहयोगी चीनी कंपनी है तो उसके लिए पुन: निविदा निकाली जाएगी।
गडकरी ने कहा कि सरकार घरेलू कंपनियों के लिए नियमों को आसान कर रही है ताकि वे बड़ी परियोजनाओं के लिए बोली लगा सकें। उन्होंने इस संबंध में राजमार्ग सचिव गिरिधर अरमाणे और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के चेयरमैन एसएस संधू को निर्देश जारी कर दिए हैं कि वे घरेलू कंपनियों के लिए प्रौद्योगिकी और वित्तीय योग्यता नियमों को आसान करें।
उन्होंने विस्तार में इसे समझाया कि यदि कोई ठेकेदार कंपनी किसी छोटी परियोजना के लिए चयनित होने की योग्यता रखता है तो वह बड़ी परियोजनाओं के लिए भी योग्य हो सकती है। निर्माण से जुड़े नियम सही नहीं हैं इसलिए मैंने इन्हें बदलने के लिए बोला है। ताकि हम भारतीय कंपनियों को प्रोत्साहित कर सकें।
मंत्री ने कहा कि इन नियमों में बदलाव इस तरह किया जाएगा कि घरेलू कंपनियों को किसी विदेशी भागीदार के साथ संयुक्त उपक्रम न बनाना पड़े।
गडकरी ने कहा कि यदि कोई कंपनी प्रौद्योगिकी, परामर्श और डिजाइन के लिए भी चीनी कंपनी के साथ संयुक्त उपक्रम बनाती है तो हम उसे काम करने की अनुमति नहीं देंगे।
एमएसएमई क्षेत्र के बारे में गडकरी ने कहा कि एक तरफ तो हमें स्थानीय उत्पादन की क्षमता बढ़ानी है, दूसरी तरफ विदेशी निवेश को भी प्रोत्साहित करना है। लेकिन यह बात स्पष्ट है कि विदेशी निवेश को प्रोत्साहन देने के निर्णय के बावजूद हम चीनी निवेशकों को अनुमति नहीं देंगे।
भारतीय बंदरगाहों पर चीनी सामान को रोके जाने के मुद्दे पर गडकरी ने कहा कि बंदरगाहों पर सामान को ‘मनमाने तरीके’ से नहीं रोका जा रहा है। बल्कि सरकार की कोशिश देश को आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए घरेलू एमएसएमई और घरेलू कारोबारों के लिए अधिक सुधारवादी कदम उठाने की है। (भाषा)