नई दिल्ली। बोफोर्स तोप घोटाले का 'जिन्न' एक बार फिर बाहर आने को बेताब है, क्योंकि इस मामले की त्वरित सुनवाई के लिए एक याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर की गई है।
इस मामले में पूर्व में याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अजय अग्रवाल ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर करके यह अनुरोध किया है कि वह बोफोर्स मामले की सुनवाई तत्काल करे।
अग्रवाल ने अपनी याचिका में कहा है कि देश की प्रमुख जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा बोफोर्स घोटाला मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के 31 मई 2005 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील न करना इस बात का प्रत्यक्ष द्योतक है कि जांच एजेंसी ने दबाव में आकर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।
अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी के नेता भी हैं, जो 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ रायबरेली संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतरे थे और हार गए थे। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि सीबीआई ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील इसलिए नहीं की थी, क्योंकि उसे तत्कालीन विधि एवं न्याय मंत्रालय ने इसकी अनुमति नहीं दी थी जबकि हिन्दूजा बंधुओं के खिलाफ सभी आरोपों को निरस्त करने का उच्च न्यायालय का फैसला गलत था।
सीबीआई और आरोपियों के बीच साठगांठ के अपने आरोपों को स्पष्ट करते हुए अग्रवाल ने सौदे के बिचौलिए इतालवी कारोबारी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के लंदन के बैंक खाते फ्रीज होने और कुछ ही दिनों बाद उसे खोल देने (डिफ्रीज) की घटना का उल्लेख क्रमानुसार किया है।
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील नहीं किए जाने के बाद अग्रवाल ने अक्टूबर 2005 में याचिका दायर की थी। शीर्ष अदालत ने उनकी याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली थी, इसके बावजूद क्वात्रोच्चि के खाते डिफ्रीज किए गए और उसने जमा दलाली की रकम निकाल ली थी।
सीबीआई ने खाते डिफ्रीज करने के बारे में मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रट को अवगत कराना भी उचित नहीं समझा था, जो क्वात्रोच्चि के मामले की सुनवाई कर रहे थे। (वार्ता)