महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी की लड़ाई में अपने सबसे पुराने सहयोगी शिवेसना को खोने वाली भाजपा अब झारखंड विधानसभा चुनाव में भी अकेले पड़ गई है। राज्य में चुनाव तारीखों के ऐलान के बाद सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा और उसके सहयोगी पार्टियों में जो खींचतान मची हुई थी उसके बाद एनडीए के घटक दल अकेले ही अकेले चुनाव मैदान में कूद गए हैं।
सीटों को लेकर पिछले कई दिनों से जारी विवाद के बाद गुरुवार को भाजपा और ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) के बीच गठबंधन टूट गया। गठबंधन टूटने के बाद अब भाजपा विधानसभा की सभी 81 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। इससे पहले दोनों पर्टियों के बीच टकराव इस कदर बढ़ा कि 17 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही आजसू ने तो भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ अपने प्रत्याशियों के नाम भी तय कर दिए थे। जिसके बाद भाजपा ने अब अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है।
वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ हुई खटपट का सीधा असर बिहार में भाजपा के सबसे सबसे मजबूत सहयोगी जेडीयू और लोजपा भी पड़ोसी राज्य झारखंड में अकेले चुनाव लड़ रही हैं। सीटों के बंटवारे से असंतुष्ट मोदी सरकार में शामिल कैबिनेट मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने 50 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर अपने उम्मीदवारों के नाम भी तय कर दिए हैं जबकि पहले कैबिनेट मंत्री रामविलास पासवान ने भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी।
इसके साथ ही भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी दलों मे से एक जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने सूबे में अलग चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। जेडीयू ने अलग चुनाव लड़ने का फैसला उस वक्त किया है, जब बिहार में खुद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह साफ कह चुके हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ही गठबंधन के उम्मीदवार होंगे। झारखंड से सटे बिहार में नीतीश सरकार में शामिल भाजपा सरकार में शामिल रहते हुए भी दूरियों की खबरें अक्सर छाई रहती हैं।