देशभर के विभिन्न ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में 8 जनवरी से दो दिनी बंद का आह्वान किया है। वामपंथी पार्टियां और इससे संबद्ध यूनियनों की ओर से आहूत इस बंद में देश के कई किसान और शिक्षक संघ भी हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान सड़कों पर परिवहन, बैंकों में कामकाज और स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित होने के आसार हैं। प्रदर्शनकारी विभिन्न क्षेत्रों में रेल व रास्ता रोको प्रदर्शन कर रहे हैं।
विभिन्न ट्रेड यूनियनों के प्रदर्शन को देखते हुए देश में कई स्थानों पर शिक्षण संस्थानों में छुट्टी घोषित कर दी गई है। कई ट्रांसपोर्ट यूनियनों ने भी बंद को अपना समर्थन दिया है। केंद्रीय श्रमिक संघों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की नीतियों को 'श्रमिक विरोधी' बताकर सरकार पर एकतरफा श्रम सुधार करने का आरोप लगाया है।
कर्नाटक में सड़कों पर उतरे ट्रेड यूनियन के सदस्य प्रदर्शन कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे सीपीएम कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। भुवनेश्वर में ट्रेड यूनियनों की हड़ताल से आम लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मुंबई में बेस्ट की हड़ताल : मुंबई में BEST (बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट) ने भी अपनी मांगों को लेकर सोमवार मध्यरात्रि से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है, जिससे यात्रियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
ये हैं मांगें और विरोध : ट्रेड यूनियनों की मांगों में वेतन वृद्धि, रोजगार, पदोन्नति के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी सहित कई अन्य मांगें भी शामिल हैं। श्रमिक संघ ट्रेड यूनियन अधिनियम, 1926 में प्रस्तावित संशोधनों का भी विरोध कर रहे हैं।
ममता बोलीं बंगाल में कोई बंद नहीं : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को दावा किया था कि ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाई गई हड़ताल का राज्य में कोई असर नहीं होगा।
ममता ने कहा था कि मैं इस पर एक शब्द भी नहीं बोलना चाहती हूं। हमने किसी भी बंद को समर्थन नहीं देने का फैसला किया है। अब बहुत हो गया। पिछले 34 वर्षों में वाम मोर्चे ने बंद का आह्वान कर पूरे राज्य को बर्बाद कर दिया। अब कोई बंद नहीं होगा।
राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि मंगलवार और बुधवार को अपने कर्मचारियों के आधे दिन की छुट्टी या आकस्मिक अवकाश लेने पर रोक लगाएगी।