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क्या है अजित पवार से जुड़ा 'अपशकुन', बन जाते हैं मुख्‍यमंत्री के लिए ही 'खतरा'

हमें फॉलो करें Ajit Pawar
, मंगलवार, 4 जुलाई 2023 (14:17 IST)
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (बागी गुट) के नेता अजित पवार अपने ही चाचा शरद पवार से बगावत कर एक बार फिर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बन गए हैं। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब अजित उपमुख्यमंत्री बने हैं, इससे पहले भी वे कई बार इस पद पर बैठ चुके हैं। पवार के डिप्टी सीएम बनने के बाद एक 'अपशकुन' की भी खूब चर्चा हो रही है। पवार का डिप्टी सीएम बनना कभी भी मुख्‍यमंत्री के लिए 'शुभ' नहीं रहा। या तो उनकी कुर्सी चली गई या फिर उनका 'डेमोशन' हो गया। 
 
भले ही हम विज्ञान के युग में जी रहे हैं, लेकिन मन है कि मानता नहीं। इसे संयोग भी माना जा सकता है। वैसे भी महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे को लेकर तो काफी लंबे समय से चर्चाएं हैं कि उन्हें निकट भविष्य में मुख्यमंत्री पद से हटाकर देवेन्द्र फडनवीस को मुख्‍यमंत्री बनाया जा सकता है।
 
बारामती से चुनाव लड़ने वाले पवार सबसे पहले पृथ्‍वीराज चव्हाण के डिप्टी बने थे। पहली बार 11 नवंबर 2010 को जबकि दूसरी बार 7 दिसंबर 2012 को। दोनों ही कार्यकाल में वे 2 साल से भी कम समय पद पर रहे। जहां तक पृथ्‍वीराज चव्हाण की बात है तो वे राजनीतिक रूप से लगभग हाशिए पर चले गए हैं। 
 
पवार 23 नवंबर 2019 में एक बार फिर देवेन्द्र फडणवीस के डिप्टी बने, लेकिन वे तीन दिन ही इस पद पर रह पाए। फडनवीस भी मुख्यमंत्री नहीं रह पाए। समय का चक्र ऐसा चला कि फडनवीस को नहीं चाहते हुए भी एकनाथ शिंदे का डिप्टी बनना पड़ा।
 
30 दिसंबर 2019 को अजित पवार को फिर डिप्टी सीएम की कुर्सी मिली। इस बार मुख्‍यमंत्री शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे थे। करीब ढाई साल ठाकरे की सरकार चली और शिवसेना में ही बगावत के चलते उनके हाथ से कुर्सी छिन गई। उनकी पार्टी शिवसेना टूट गई। यहां तक कि उनसे नाम और चुनाव चिह्न दोनों छिन गए। 
 
2 जुलाई 2023 को पवार एक बार फिर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बने हैं। इस बार मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे हैं। यदि अब एकनाथ शिंदे के साथ कोई 'अनहोनी' होती है तो एक बार फिर इस बात पर मुहर लग जाएगी कि अजित पवार वाकई मुख्‍यमंत्री के लिए 'शुभ' नहीं होते। पवार मुख्‍यमंत्री के लिए 'अनलकी' हों, लेकिन खुद के लिए तो 'लकी' रहे हैं। क्योंकि बार-बार डिप्टी सीएम पद उनकी झोली में आ गिरता है।  
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

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