मुंबई। गुजरात चुनाव से पहले भारतीय स्टेट बैंक की पूर्व चेयरपर्सन अरूंधति भट्टाचार्य का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की परेशानी बढ़ा सकता है। उन्होंने कहा कि बैंकों को नोटबंदी की तैयारी के लिए और समय दिया जाना चाहिए था। नोटबंदी के दौरान बैंकों पर काफी दबाव पड़ा है।
पिछले साल आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 रुपए के नोट को चलन से हटाने का फैसला किया था। इस पहल का मकसद कालाधन, भ्रष्टाचार और नकली मुद्रा पर लगाम लगाना था।
अरूंधति ने इंडिया टुडे के एक कार्यक्रम में कहा कि अगर हम किसी नई तरह की चीज के लिए तैयार होते हैं, तब यह ज्यादा सार्थक और बेहतर होता। स्पष्ट तौर पर अगर नोटबंदी के लिए थोड़ी अधिक तैयारी का मौका मिलता, निश्चित रूप से इसका हम पर दबाव कम होता।
उन्होंने कहा कि अगर आपको नकदी लानी-ले जानी होती है, उसके कुछ नियम है। हमें पुलिस की जरूरत होती है। काफिले की व्यवस्था करनी होती है। नजदीकी मार्ग चुनना होता है। यह बड़ा ‘लाजिस्टिक’ कार्य होता है।
देश के सबसे बड़े बैंक की चेयरपर्सन पद से सेवानिवृत्त हुई अरूंधति के अनुसार इस बात का आकलन करने के लिए और समय की जरूरत है कि नोटबंदी सही कदम था या नहीं।
नोटबंदी के लाभ के बारे में उन्होंने कहा कि इससे करदाताओं की संख्या 40 प्रतिशत बढ़ी, उच्च मूल्य की मुद्रा पर निर्भरता कम हुई और डिजिटलीकरण बढ़ा है। मुझे नहीं लगता कि कालाधन रखने वाले बच पाएंगे। प्रौद्योगिकी लाखों खातों के विश्लेषण करने में मदद करेगी। कालाधन रखने वालों को पता है कि वे जांच के घेरे में हैं। (भाषा)