नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जम्मू-कश्मीर में सेना के जवानों पर स्थानीय लोगों द्वारा पथराव की घटनाओं में जवानों के मानवाधिकारों के हनन की शिकायत पर रक्षा मंत्रालय से चार सप्ताह में वास्तविक स्थिति की जानकारी देने को कहा है।
आयोग ने यह कदम सेना के अधिकारियों के तीन बच्चों की शिकायत का संज्ञान लेते हुए उठाया है। शिकायत में इन बच्चों ने कहा है कि वे उग्र भीड़ द्वारा जवानों पर पथराव की घटनाओं से चिंतित हैं। उन्होंने मीडिया रिपोर्टों के हवाले से आरोप लगाया है कि शोपियां की घटना अवांछित और बिना उकसावे के की गई और इस मामले में सेना के जवानों के खिलाफ ही प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई है। शिकायत में पथराव की घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा देते हुए कहा गया है कि सेना को लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है पर उनके ही खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा रही है।
शिकायत में आयोग से शोपियां मामले की तह में जाकर सही स्थिति का पता लगाने तथा सेनाओं के मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं का संज्ञान लेने की मांग की गई है।
आयोग ने कहा है कि शिकायत में दिए गए तथ्यों तथा आरोपों के मद्देनजर उसने रक्षा मंत्रालय से वास्तविक स्थिति की रिपोर्ट देने को कहा है। रिपोर्ट में रक्षा सचिव से मौजूदा स्थिति और सेना के मानवाधिकारों का हनन रोकने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देने को कहा गया है।
शिकायत में यह भी कहा गया है कि प्रशासन सशस्त्र सेनाओं के मानवाधिकारों की रक्षा करने में विफल रहा है। कई देशों के कानूनों का हवाला देते हुए यह बताया गया है कि सेना पर पथराव के लिए कड़ी सजा दी जाती है जबकि जम्मू कश्मीर में पत्थर फेंकने वालों के खिलाफ दर्ज मामले राज्य सरकार के निर्देश पर वापस ले लिए गए हैं। (वार्ता)