कोलकाता। पाकिस्तान में 2016 में किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत की कुछ विपक्षी नेताओं की मांग के बीच थलसेना की पूर्वी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कालिता ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी अभियान को अंजाम देते समय सेना कभी भी कोई सबूत रखने के बारे में नहीं सोचती।
सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत की मांग कर रहे कुछ विपक्षी नेताओं की हाल की मांगों पर एक 'राजनीतिक सवाल' का जवाब देने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि देश भारतीय बलों पर भरोसा करता है। कोलकाता में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यह एक राजनीतिक सवाल है। इसलिए मैं इस पर टिप्पणी करना पसंद नहीं करता। मुझे लगता है कि देश भारतीय सशस्त्र बलों पर भरोसा करता है।
यह पूछे जाने पर कि क्या अभियान के दौरान सेना कोई सबूत रखती है, उन्होंने न में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जब हम कोई अभियान करने जाते हैं, तो हम उस अभियान का कोई सबूत नहीं रखते।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने हाल में जम्मू में राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सीमा पार सैन्य अभियान पर संदेह व्यक्त किया था। उन्होंने कहा था कि वे (केंद्र) सर्जिकल स्ट्राइक और कई लोगों को मारने की बात करते हैं, लेकिन इसका कोई सबूत नहीं है। वे झूठ का पुलिंदा दिखाकर शासन कर रहे हैं।
हालांकि, कांग्रेस ने इस टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया और कहा कि यह उसके रुख को प्रतिबिंबित नहीं करती तथा पार्टी देश के हित में सभी सैन्य कार्रवाइयों का समर्थन करती है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सिंह की टिप्पणियों को 'हास्यास्पद' करार दिया था और कहा था कि सशस्त्र बल अपना काम 'असाधारण तरीके से' कर रहे हैं तथा उन्हें कोई सबूत देने की आवश्यकता नहीं है। सितंबर 2016 में, भारत ने जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में एक सैन्य ठिकाने पर आतंकवादी हमले के जवाब में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार सर्जिकल स्ट्राइक किया था। (एजेंसी/वेबदुनिया)