नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि बैंकों को ऋण वसूली के लिए एजेंटों की नियुक्ति में बाउंसरों यानी बाहुबलियों की नियुक्ति का अधिकार नहीं है। वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने यहां लोकसभा में प्रश्नकाल में एक सवाल के जवाब में कहा कि ऋण लेने वालों से दुर्व्यवहार को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय किए गए हैं। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक के उधारकर्ताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता के संबंध में जारी दिशानिर्देश बहुत स्पष्ट हैं।
उन्होंने कहा कि ऋण वसूली या रिकवरी एजेंटों की नियुक्ति के पहले उनका पुलिस सत्यापन कराया जाता है। यह बैंकों का भी दायित्व है कि वे सुनिश्चित करें कि रिकवरी एजेंट असभ्य व्यवहार, गैरकानूनी रास्ता या कोई गलत तरीका नहीं अपनाएं।
उन्होंने कहा कि वसूली एजेंटों द्वारा दिशानिर्देशों के उल्लंघन या गलत पद्धतियों के अनुसरण को गंभीरता से लिया जाता है। बैंकों की ओर से भी किसी प्रकार की ऐसी चूक होने पर ऑम्बुड्समैन को शिकायत की जा सकती है और ऑम्बुड्समैन बैंकों पर 20 लाख रुपए तक का जुर्माना ठोक सकता है।
उन्होंने बताया कि 2018-19 के दौरान ऐसी 255 शिकायतें प्राप्त हुईं थीं, जिनमें 31 का निस्तारण किया गया और 58 को निरस्त कर दिया गया। शेष 165 शिकायतों को अग्राह्य माना गया। तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय के सवाल पर ठाकुर ने कहा कि बाहुबलियों की नियुक्ति का अधिकार किसी को नहीं है।