जम्मू। कोरोना के कारण स्थगित की गई अमरनाथ यात्रा की प्रतीक पवित्र छड़ी मुबारक के अमरनाथ गुफा में सोमवार को श्रावण पूर्णिमा के दिन स्थापित करते ही यात्रा संपन्न हो गई। छड़ी मुबारक को कुछेक साधुओं के साथ ही हेलीकॉप्टर से गुफा तक ले जाया गया था ताकि यात्रा को सांकेतिक तौर पर संपन्न करवाया जा सके।
पवित्र छड़ी मुबारक सोमवार श्रावण पूर्णिमा के दिन अमरनाथ गुफा में पहुंची। वहां सभी धार्मिक अनुष्ठान वैदिक मंत्रों और पूजा-अर्चना से संपन्न किए गए। इसके बाद भगवान शिव से कोरोना संकट से निजात दिलाने की प्रार्थना भी की गई। महंत दीपेंद्र गिरि ने इस अवसर पर एक संदेश में यात्रा की प्राचीन परंपरा और इतिहास से भी अवगत कराया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा करीब 150 साल पुरानी है।
अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने 21 जुलाई को वार्षिक अमरनाथ यात्रा शुरू करने को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी। बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए इस साल वार्षिक अमरनाथ यात्रा को रद्द करने का फैसला लिया था। हालांकि कई दिनों तक इस पर चर्चा चली थी, जिसमें भक्तों के लिए नियमों को बनाया गया था। सुरक्षाबलों की तैनाती कर दी गई थी। कैंपों को लगाया गया था। आधार शिविर को तैयार किया गया था।
भक्तों के लिए सभी इंतजाम किए गए थे। अंतिम समय तक यही बात कही जा रही थी कि प्रतिदिन 500 भक्तों को जाने की अनुमति दी जाएगी। इसके लिए कठुआ में कैंप बनाया गया। तमाम इंतजाम किए गए थे। लेकिन बोर्ड की तरफ से कई दिनों तक कोई फैसला नहीं लिया गया था।
बाद में 21 जुलाई को एक दम से बोर्ड की तरफ से यात्रा को ना चलाने का फैसला लिया गया था। प्रशासन की तरफ से कहा गया था कि सिर्फ पवित्र छड़ी मुबारक को जाने की अनुमति है। जो कि पूरे रीतिरिवाज से हर साल की तरह पूजा-अर्चना करेगी और उसके बाद इस साल की यात्रा को समाप्त कर दिया जाएगा।