इलाहाबाद। तीर्थराज प्रयाग में गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में मंगलवार 15 जनवरी की भोर में अखाड़ों के शाही स्नान के साथ कुंभ मेले का आगाज होगा।
दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुंभ मेले में मकर संक्रांति के पहले स्नान पर्व के साथ डेढ़ माह से अधिक दिन तक चलने वाले मेले के दौरान 12 से 14 करोड़ श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाएंगे।
मेले के दौरान मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा के साथ 4 मार्च को महाशिवरात्रि पर्व तक कुल 6 स्नान पर्व होंगे, जिसमें से 15 जनवरी मकर संक्रांति, 4 फरवरी मौनी अमावस्या और 10 फरवरी बसंत पंचमी पर्व पर शाही स्नान होगा।
मेले में कल्पवास करने और आस्था की डुबकी लगाने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए संगम की रेती पर बसाया गया तंबुओं का अस्थाई शहर इन दिनों गहमागहमी से भरपूर है।
प्राचीनकाल से संगम तट पर जुटने वाले कुंभ मेले की जीवंतता में आज भी कोई कमी नहीं आई है। मेले में आस्था और श्रद्धा से सराबोर पुरानी परंपराओं के साथ आधुनिकता के रंगबिरंगे नजारे देखने को मिलते हैं।
कुंभ मेले में दूरदराज से आकर संगम तट पर कल्पवास करने वाले साधु-संत, संन्यासी, दिव्यांगों और गृहस्थों द्वारा किए जाने वाले भजन-कीर्तन की एक झलक पाने के लिए बड़ी तादाद में विदेशी सैलानियों का भी जमघट लगा रहता है। भारतीय संस्कृति और आध्यात्म से प्रभावित कई विदेशी भी इस दौरान पुण्य लाभ के लिए संगम स्नान करते नजर आते हैं।
मेले में विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और विविधताओं का संगम भी देखने को मिलता है। देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु आते हैं और पतित पावन संगम में स्नानकर खुद को धन्य मानते हैं। कड़ाके की ठंड और शीतलहरी पर विश्वास की आस्था भारी पडती है।
इलाहाबाद जिला प्रशासन द्वारा कुंभ मेले में आने वाले साधु-संतों, तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की सुविधा के लिए व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं। सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करने के साथ मेला क्षेत्र में बिजली, पानी, शौचालय और साफ-सफाई के इंतजाम सुनिश्चित किए गए हैं।
कुम्भ मेला अधिकारी विजय किरण आनंद ने बताया कि मेला क्षेत्र में अखाड़ों और साधु-संतों के शिविर लग चुके हैं। आस्था और श्रद्धा का यह महामिलन मंगलवार से शुरू होकर 4 मार्च तक चलेगा।
उन्होंने बताया कि वैसे, माघी पूर्णिमा स्नान के बाद मेला धीरे-धीरे ढलान की ओर बढ़ना शुरू कर देता है। हालांकि मेला महाशिवरात्रि स्नान तक रहता है। मेला क्षेत्र के लिए इस बार 3200 हैक्टेयर जमीन उपलब्ध है जबकि वर्ष 2013 के कुंभ में करीब 500 हैक्टेयर क्षेत्रफल पर मेले का आयोजन किया गया था। उन्होंने बताया कि स्नान घाटों पर ‘डीप वाटर’ बैरीकेडिंग कर दी गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए संगम तट के नजदीक पहुंचाने के लिए शटल बस और ई-रिक्शा चलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने संगम से पार्किंग स्थल की दूरी 5 किलोमीटर से अधिक नहीं होने का भी निर्देश दिया है। (वार्ता)