Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

अनामिका गैंगरेप केस, सुप्रीम कोर्ट में तीनों आरोपी बरी, हाईकोर्ट ने दी थी फांसी की सजा

हमें फॉलो करें अनामिका गैंगरेप केस, सुप्रीम कोर्ट में तीनों आरोपी बरी, हाईकोर्ट ने दी थी फांसी की सजा
, सोमवार, 7 नवंबर 2022 (12:45 IST)
नई दिल्ली। वर्ष 2012 के बहुचर्चित छावला अनामिका गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीन आरोपियों- राहुल, रवि और विनोद को बरी कर दिया है। 2014 में इन तीनों ही आरोपियों को हाईकोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। निचली कोर्ट ने सजा सुनाते समय इसे 'दुर्लभतम' मामला माना था। कोर्ट ने पीड़िता को अनामिका नाम प्रतीकात्मक रूप से दिया था। 
 
दरअसल, 2012 में अनामिका नामक 19 साल की लड़की का पहले अपहरण किया गया। फिर गैंग रेप के बाद उसे बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया था। उसकी आंखों में तेजाब भी डाला गया था। यह दिल्ली के निर्भया गैंगरेप की ही तरह यातना झेलने वाली एक और बेटी का दिल दहलाने वाला मामला था। 
 
यह था पूरा मामला : अनामिका उत्तराखंड के पौड़ी की रहने वाली थी और दिल्ली के छावला के कुतुब विहार में रहती थी। 9 फरवरी 2012 की रात नौकरी से लौटते समय राहुल, रवि और विनोद नाम के आरोपियों ने उसे अगवा कर लिया था। 14 फरवरी को 'अनामिका' की लाश बहुत बुरी हालत में हरियाणा के रेवाड़ी के एक खेत में मिली थी। गैंगरेप के अलावा 'अनामिका' को असहनीय यातनाएं दी गई थीं।
 
उसे कार में मौजूद औजारों से बुरी तरह पीटा गया था। साथ ही शरीर को सिगरेट और गर्म लोहे से दागा गया था। यही नहीं गैंगरेप के बाद 'अनामिका' के चेहरे और आंख में तेजाब डाला गया था।
 
घटना के चश्मदीदों के बयान के मुताबिक जांच के दौरान पुलिस को लाल इंडिका कार की तलाश थी। बाद में पुलिस को उसी लाल कार में एक आरोपी राहुल पुलिस की गिरफ्त में आ गया। बाद में उसने अपने दोनों साथियों रवि और विनोद के बारे में भी पुलिस को सारी जानकारी दी। डीएनए की रिपोर्ट और दूसरे तमाम सबूतों से निचली अदालत में तीनों के खिलाफ केस निर्विवाद तरीके से साबित हुआ।

क्या कहा था पक्ष और विपक्ष के वकीलों ने : न्यायमूर्ति जस्टिस यूयू ललित, एस रवीन्द्र भट्ट और बेला त्रिवेदी की बेंच ने इस मामले में दोषियों की अपील पर इसी साल 6 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा था। दिल्ली सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने दोषियों के लिए फांसी की सजा बरकरार रखने की मांग की थी। उन्होंने अपनी दलील में कहा था कि पीड़िता के साथ अकल्पनीय दरिंदगी हुई। भाटी ने कहा कि इस तरह घटनाओं के चलते ही माता-पिता अपनी लड़कियों को बाहर जाकर पढ़ाई करने से रोकते हैं।
 
वहीं, बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील सोनिया माथुर ने बेंच से अनुरोध किया था वह दोषियों में सुधार की संभावना पर विचार करते हुए सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाने का आग्रह किया था। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Petrol Diesel Price Today : लगातार 167वें दिन पेट्रोल-डीजल के भाव स्थिर, कीमतों में कोई बदलाव नहीं