उत्तर प्रदेश में आज यानी बुधवार का दिन एक नए सियासी समीकरण को जन्म देते हुए नजर आ रहा है। एक तरफ महागठबंधन को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं तो वहीं यूपी में महागठबंधन से अलग समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी व राष्ट्रीय लोक दल ने एक नए महागठबंधन को बनाते हुए उत्तर प्रदेश की सीटों का बंटवारा आखिरकार कर ही डाला है और इसमें कांग्रेस का हाथ कहीं न कहीं छूटता नजर आ रहा है।
तीनों पार्टियों के गठबंधन ने सिर्फ प्रदेश की 2 सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी हैं, जो कि खुद राहुल गांधी और उनकी माताजी सोनिया गांधी की हैं। इन 2 सीटों को छोड़ने का मतलब साफ है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस गठबंधन में चाहे तो शामिल हो सकती है, लेकिन मात्र 2 सीटों को लेकर ही उन्हें शांत बैठना होगा।
कहीं ना कहीं उत्तर प्रदेश में सियासी समीकरण लोकसभा चुनाव को लेकर अब महागठबंधन के साफ होते नजर आ रहे हैं अगर ऐसा ही रहा तो कहीं न कहीं उत्तर प्रदेश में त्रिकोणीय लड़ाई लोकसभा में देखने को मिल सकती है। बताते चलें कि कांग्रेस के मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ जोरदार प्रदर्शन के बाद भी उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल सपा के बसपा ने कांग्रेस को कोई अहमियत नहीं दी है।
अगर सूत्रों की मानें तो मिशन 2019 के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस को गठबंधन में शामिल न करने का फैसला कर लिया है। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में यह दोनों दल राष्ट्रीय लोकदल को गठबंधन में शामिल करते हुए भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे।
इसके लिए ने गठबंधन ने सीटों का फार्मूला भी तय कर लिया है नए फार्मूले के हिसाब से बसपा जहां 38 सीट पर वहीं सपा 37 और 3 पर रालोद चुनाव लड़ेगा। लेकिन कांग्रेसी गढ़ माने जाने वाले रायबरेली और अमेठी संसदीय सीट पर गठबंधन का प्रत्याशी कांग्रेस के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेगा। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी अपने कोटे की कुछ और सीटें भी व्यक्ति विशेष या छोटे दलों को दे सकती है।