नई दिल्ली। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने ‘संत’ की उपाधि देने के लिए एक प्रक्रिया तय करने का फैसला किया है ताकि गुरमीत राम रहीम सिंह जैसे लोगों को इसका गलत इस्तेमाल करने से रोका जाए।
हरियाणा के सिरसा में अर्ध धार्मिक संस्था डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम को बलात्कार के एक मामले में हाल ही में दोषी करार देने और जेल भेजे जाने की घटना के बाद हिंदू धर्म के नेताओं की शीर्ष संस्था को यह कदम उठाना पड़ा।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने कहा कि संतों के बीच यह भावना है कि एक या दो धार्मिक नेताओं के गलत कामों की वजह से पूरे समुदाय की छवि को गलत तरीके से दिखाया जा रहा है।
विहिप, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के साथ मिलकर काम करता है।
जैन ने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का मानना है कि ‘संत’ की उपाधि का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है इसलिए परिषद ने यह उपाधि देने के लिए एक प्रक्रिया तय करने का फैसला किया है। अब से किसी व्यक्ति की पड़ताल करने और उसका आकलन करने के बाद ही यह उपाधि प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह उपाधि देने से पहले अखाड़ा परिषद यह भी देखेगी कि व्यक्ति की जीवनशैली किस तरह की है।
अखाड़ा परिषद के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि उन्होंने यह फैसला लिया है कि एक संत के पास नकदी या उसके नाम पर कोई संपत्ति नहीं होगी। संपत्ति और नकदी जैसी सभी चीजें न्यास की होनी चाहिए और इसका बड़े पैमाने पर लोगों के कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद 14 अखाड़ों की संयुक्त संस्था है जिसमें निर्मोही अखाड़ा भी शामिल है जो अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन का चेहरा है। (भाषा)