बारामती में चाचा-भतीजे की जंग में एक और भतीजा, अजित के सामने जूनियर पवार
अजित पवार और युगेन्द्र पवार ने बारामती में नामांकन दाखिल किया
Ajit Pawar files nomination from Baramati: बारामती लोकसभा चुनाव में ननद (सुप्रिया सुले) और भाभी (सुनेत्रा पवार) की जंग हुई थी, जिसमें ननद ने बाजी मार ली। इस बार बारामती विधानसभा सीट पर एक बार फिर परिवार के सदस्य आमने सामने हैं। इस बार एनसीपी नेता अजित पवार और उनके सगे भतीजे युगेन्द्र पवार आमने-सामने हैं। युगेन्द्र शरद पवार की पार्टी से मैदान में हैं। वे अपने ही चाचा अजित को टक्कर देंगे। हालांकि यह बात भी सही है जीते कोई भी सीट तो पवार परिवार के पास ही रहने वाली है।
मैं किसी को हल्के में नहीं लेता : दोनों ही नेताओं ने बारामती सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। राज्य के डिप्टी सीएम अजित पवार ने भतीजे युगेन्द्र की उम्मीदवारी पर कहा कि हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार है। जब भी मेरे खिलाफ कोई उम्मीदवार उतारा जाता है तो मैं उसे मजबूत उम्मीदवार के तौर पर लेता हूं और उसी के मुताबिक प्रचार करता हूं। उन्होंने कहा कि अस बार भी बारामती के लोग मुझे अच्छे वोटों से चुनाव जिताएंगे। मुझे मतदाताओं पर पूरा भरोसा है।
दूसरी ओर NCP-SCP प्रत्याशी युगेन्द्र ने कहा कि मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि पवार साहब मेरे नामांकन के लिए आए हैं। वे मुझे जो भी जिम्मेदारी देंगे। मैं उसे पूरा करूंगा। उन्होंने कहा कि राज्य में बेरोजगारी, महंगाई, अपराध आदि बड़े मुद्दे हैं। हम इन सभी मुद्दों पर काम करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।
यह वैचारिक लड़ाई है : अपनी भाभी के खिलाफ चुनाव जीतने वाली सुप्रिया सुले ने कहा कि यह मेरे लिए कभी भी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं रही, यहां तक कि जब मैंने लोकसभा चुनाव लड़ा तब भी मैंने यही बात कही थी। यह एक वैचारिक लड़ाई है। मैं महाराष्ट्र सरकार की नीतियों के खिलाफ लड़ रही हूं।
पिछला चुनाव बड़े अंतर से जीते थे अजित : बारामती विधानसभा सीट पर 2019 में अजित पवार बड़े अंतर से चुनाव जीता था। तब एनसीपी का विभाजन नहीं हुआ था। उस समय अजित पवार को 1 लाख 95 हजार 641 वोट मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के गोपीचंद पडलकर का मात्र 30376 वोट मिले थे। इस तरह वे इस सीट पर 1 लाख 65 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते थे। 2014 में भी अजित ने भाजपा के प्रभाकर दादाराम गावड़े को हराया था।
माना जा रहा है कि इस बार भी अजित पवार भले ही चुनाव जीत जाएं, लेकिन उनकी जीत का अंतर जरूर कम हो जाएगा। क्योंकि इस बार उनके सामने उनक अपना भतीजा मैदान में है। साथ ही चाचा शरद पवार भी इस बार उनके खिलाफ हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala