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जब पाकिस्तान में जासूसी करते हुए पकड़े गए थे मोदी के ‘जेम्‍स बॉन्‍ड’

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नवीन रांगियाल

अजीत डोवाल के पास मोदी सरकार में नेशनल सिक्योरिटी का जिम्‍मा है। वे देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। एक जासूस और अंडरकवर एजेंट के तौर पर उनकी पहचान रही है। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान अख़बारों और सोशल मीडिया में उनकी ख़ासी चर्चा रही है।

भारत की सुरक्षा से जुड़े कई कामयाब ऑपरेशन के पीछे डोवाल का दिमाग माना जाता है। उनका जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा है, अगर यूं कहे कि अजीत डोवाल इस सरकार के या मोदी के ‘जेम्स बॉन्ड’ हैं तो शायद गलत नहीं होगा। देश के इस जेम्स बॉन्ड के बारे में जानना दिलचस्प होगा।

कुछ ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए डोवाल पाकिस्तान में 7 सालों तक बतौर अंडरकवर एजेंट काम कर चुके हैं। वे पाकिस्तान में एक मुस्लिम आदमी बनकर रहे और अपने मिशन के दौरान स्थानीय लोगों से दोस्ती की, उनसे कई अहम जानकारियां जुटाई और अपने देश भेजी। थे। इस दौरान अजीत डोवाल मस्जिदों में भी जाते थे। कई खतरनाक ऑपरेशन में शामिल होने के चलते ही अजीत डोवाल को जेम्स बॉन्ड सरीखा जासूस माना जाता है।

डोवाल को पाकिस्तान में एक बार एक स्थानीय व्यक्ति ने पहचान लिया था कि वह एक हिंदू हैं। दरअसल अजीत डोवाल के काम छिदे हुए थे। इसके बाद डोवाल ने अपनी यह पहचान छिपाने के लिए अपने कानों की सर्जरी कराई थी।

इसके अलावा पंजाब में उग्रवाद के दौरान भी अजीत डोवाल स्वर्ण मंदिर में मौजूद आंतकियों के साथ संपर्क किया, उनसे बात की। डोवाल ने आतंकियों को यह यकीन दिलाया था कि वह पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट हैं। जिसके बाद उग्रवादी अजीत डोवाल को आईएसआई का एजेंट समझकर जो जानकारी देते थे, उसे डोवाल भारतीय खूफिया एजेंसियों को दे देते थे।

डोवाल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया है। बता दें कि अजीत डोवाल बड़े ही तेज-तर्रार अधिकारी के तौर पर जाने जाते हैं। चीन के साथ हुए डोकलाम विवाद के दौरान भारत ने जो स्टैंड लिया, उसके पीछे एस.जयशंकर के साथ ही अजीत डोवाल का दिमाग माना जाता है। इसके अलावा सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्य मुद्दे अजीत डोवाल बीते 5 सालों के दौरान मोदी सरकार के लिए काफी अहम रहे हैं।

अजीत डोवाल साल 1968 बैच के केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। अजीत डोवाल को देश के शांतिकाल में दिए जाने वाले दूसरे सबसे बड़े सम्मान कीर्ति चक्र से भी नवाजा जा चुका है। कीर्ति चक्र पाने वाले अजीत डोवाल पहले पुलिस अधिकारी हैं। अजीत डोवाल ने साल 2009 में एक थिंक टैंक विवेकानन्द इंटरनेशनल फाउंडेशन (VIF) की भी स्थापना की थी।

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