नई दिल्ली। सेना के शीर्ष कमांडरों ने चीन और पाकिस्तान के साथ लगी सीमाओं सहित भारत की सुरक्षा चुनौतियों की गहन समीक्षा की और संभावित प्रतिद्वंद्वियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए बलों की संचालन क्षमता बढ़ाने का संकल्प लिया। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
कमांडरों ने सोमवार को शुरू हुए सम्मेलन में चीन के साथ सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और सेना, नौसेना तथा भारतीय वायुसेना के बीच समन्वय सुनिश्चित करने के तरीकों समेत कई मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। सम्मेलन का समापन शनिवार को होगा।
सूत्रों ने बताया कि कमांडरों ने बालाकोट हवाई हमले और बाद में पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई के मद्देनजर पाकिस्तान के साथ सीमा पर उभरते सुरक्षा परिदृश्य पर भी चर्चा की। सेना ने कहा कि वह शांतिपूर्ण सुरक्षा माहौल के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं हो।
सेना ने एक बयान में कहा कि सेना के कमांडरों ने उभरते सुरक्षा परिदृश्यों, निकट और दीर्घकालिक अवधि में परिचालन क्षमता को बढ़ाने और संभावित विरोधियों से निपटने की क्षमता को बढ़ाने के संबंध में सम्मेलन में व्यापक चर्चा की।
कमांडरों ने फैसला किया कि किसी भी सुरक्षा चुनौती से निपटने के लिए बलों की तत्परता सुनिश्चित की जाएगी। सेना ने कहा कि तीनों सेनाओं द्वारा भविष्य में आने वाली सभी तरह की सुरक्षा चुनौतियों से निपटा जाएगा।
एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने सम्मेलन में अपने संबोधन में भारतीय वायुसेना के मिशनों के उद्देश्य और उच्च विश्वसनीयता के बारे में बात की। नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने भी सेना के कमांडरों को संबोधित किया जिन्होंने समुद्री क्षेत्र में चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया।
अधिकारियों ने बताया कि थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सभी रैंकों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। (भाषा)