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उपसभापति के बचाव में आए मोदी सरकार के 6 मंत्री, राजनाथ बोले- राज्यसभा में जो हुआ, वह दुखद और शर्मनाक

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, रविवार, 20 सितम्बर 2020 (21:49 IST)
नई दिल्ली। विपक्ष के विरोध के बीच दो प्रमुख कृषि विधेयक रविवार को राज्यसभा में पारित हो गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे इतिहास का बड़ा दिन बताया। केंद्र सरकार के 6 मंत्रियों राजनाथ सिंह, प्रकाश जावड़ेकर, प्रहलाद जोशी, पीयूष गोयल, थावर चंद गहलोत और मुख्तार अब्बास नकवी में साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। विपक्ष पर निशाना साधते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह का अनादर करने के मुद्दे पर राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में जो भी हुआ, वह बहुत दुखद और शर्मनाक है।
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उन्होंने कहा कि राज्यसभा के उपसभापति मूल्यों को लेकर प्रतिबद्ध हैं, स्वस्थ लोकतंत्र में इस तरह के आचरण की उम्मीद नहीं की जाती। हर किसी ने आसन के साथ हुई बदसलूकी को देखा है, सदस्यों ने नियम पुस्तिका फाड़ डाली, आसन के पास चले गए। मैंने संसद में इस तरह का गलत आचरण कभी नहीं देखा।
 
हंगामे के बीच पारित हुआ विधेयक : विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच राज्यसभा ने रविवार को दो प्रमुख कृषि विधेयकों को पारित कर दिया। हंगामे के दौरान विपक्षी सदस्यों ने पीठासीन अधिकारी के आसन की ओर रुख करते हुए उनकी ओर नियम पुस्तिका को उछाला, सरकारी कागजातों को फाड़ डाला और मत विभाजन की अपनी मांग को लेकर उन पर दबाव बनाने का प्रयास किया।
 
उच्च सदन में हुए हंगामे के कारण थोड़े समय के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। उच्च सदन ने रविवार को कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी। ये विधेयक लोकसभा पहले ही पारित कर चुका है। इस प्रकार इन विधेयकों को संसद की मंजूरी मिल गई है जिन्हें अधिसूचित किए जाने से पहले अब राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा।
 
समस्या तब शुरू हुई जब सदन की बैठक का समय विधेयक को पारित करने के लिए निर्धारित समय से आगे बढ़ा दिया गया। विपक्षी सदस्यों का मानना था कि इस तरह का फैसला केवल सर्वसम्मति से ही लिया जा सकता है और वे सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सभापति के आसन के सामने इकट्ठा हो गए। उन्होंने सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया।
 
हंगामे के कारण कृषि मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर को संक्षेप में अपनी बात रखनी पड़ी तथा उपसभापति हरिवंश ने विधेयकों को परित कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी। विपक्ष द्वारा व्यापक जांच के लिए लाए गए चार प्रस्तावों को ध्वनिमत से नकार दिया गया, लेकिन कांग्रेस, तृणमूल, माकपा और द्रमुक सदस्यों ने इस मुद्दे पर मत विभाजन की मांग की।
उप सभापति हरिवंश ने उनकी मांग को ठुकराते हुए कहा कि मत विभाजन तभी हो सकता है जब सदस्य अपनी सीट पर हों। तृणमूल नेता डेरेक ओ ब्रायन ने आसन की ओर बढ़ते हुए नियम पुस्तिका उपसभापति की ओर उछाल दी।
 
सदन में खड़े मार्शलों ने इस कोशिश को नाकाम करते हुए उछाली गई पुस्तिका को रोक लिया। माइक्रोफोन को खींच निकालने का भी प्रयास किया गया लेकिन मार्शलों ने ऐसा होने से रोक दिया।
 
द्रमुक नेता तिरुचि शिवा, जिन्होंने ओ'ब्रायन के साथ और कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल और माकपा के केके रागेश के साथ मिलकर विधेयकों को प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव किया था, उन्होंने कागजात फाड़कर हवा में उछाल दिए।
 
उप सभापति हरिवंश ने सदस्यों को अपने स्थानों पर वापस जाने और कोविड-19 के कारण भौतिक दूरी बनाने की आवश्यकता को ध्यान में रखकर आसन के समीप नहीं आने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने हंगामा थमता न देख पहले लाइव कार्यवाही के ऑडियो को बंद करवा दिया और फिर कार्यवाही को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरु हुई तो विपक्षी दलों ने नारे लगाए लेकिन वे हरिवंश को ध्वनि मत से विधेयक को पारित करने के लिए रखने से रोक नहीं पाए। विपक्षी दलों द्वारा लाए गए संशोधनों को खारिज करते हुए दोनों विधेयकों को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।  
 
सदन की भावनाओं का दमन : कांग्रेस ने कहा है कि राज्यसभा में भाजपा ने जिस तरह का व्यवहार किया है, उससे देश का संसदीय लोकतंत्र शर्मसार हुआ है और उपसभापति हरिवंश नारायण सिहं ने सदस्यों की भावनाओं का दमन कर सदन की कार्यवाही को अंजाम दिया है।
 
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने देर रात यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार किसान संबंधी विधेयक पर कांग्रेस सहित किसी विपक्षी दल, किसानों और अन्य संबद्ध नेताओं की बात सुनने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि उप सभापति की जिम्मेदारी थी कि वे सदन की भावनाओं का ध्यान रखते और कहते कि सदस्यों की भावनाओं को देखते हुए मंत्री इस बारे में कल जवाब दे सकते हैं। (इनपुट भाषा)

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