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नहर बनाने से नाराज अपर जिला जज जब खेत में ही लेट गए, अखिलेश बोले- जनता को जस्टिस चाहिए जेसीबी नहीं

हमें फॉलो करें नहर बनाने से नाराज अपर जिला जज जब खेत में ही लेट गए, अखिलेश बोले- जनता को जस्टिस चाहिए जेसीबी नहीं
, शुक्रवार, 25 मार्च 2022 (13:50 IST)
लखनऊ, उत्‍तर प्रदेश में अपने खेत में नहर बनाए जाने से नाराज सुल्तानपुर के अपर जिला जज मनोज शुक्ला खेत पर ही लेट गए। इस घटना के बाद यह मामला सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है।

घटना के बाद अब इसमें समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की भी एंट्री हो चुकी है। उन्‍होंने तुरंत मामले का न्यायिक संज्ञान लिए जाने की मांग की है।

अखिलेश ने इस मामले को लेकर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। साथ ही कहा कि जनता को जस्टिस चाहिए जेसीबी नहीं।

दरअसल, बस्ती के हर्रैया में छपिया शुक्ल गांव में अपनी जमीन पर जबरन नहर खोदे जाने से नाराज सुल्तानपुर के अपर जिला जज मनोज शुक्ला खेत पर ही लेट गए।

उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग ने नियम विरुद्ध खेत से मिट्टी निकाली है। जब तक मिट्टी खेत में वापस नहीं डाली जाएगी तब तक वे खेत में ही लेटे रहेंगे।

गुरुवार को धूप की वजह से ग्रामीणों ने टेंट लगाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने टेंट लगने नहीं दिया। बता दें, अपर जिला जज मनोज शुक्ला ने बुधवार से ही विरोध शुरू कर दिया था। रातभर तहसीलदार, सीओ व अन्य अधिकारी उन्हें मनाते रहे। रात में करीब 11 बजे ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अमृतपाल कौर भी पहुंचीं, लेकिन वे विरोध कर रहे न्यायिक अधिकारी से बिना बातचीत किए वापस लौट गईं।

इसी बीच नहर का कार्य पूरा कर दिया गया। इसके अलावा छपिया शुक्ल गांव में ही नहर खुदाई को लेकर एक और काश्तकार कमला शुक्ला ने भी जबरन मिट्टी खोदने का आरोप लगाया है।

गुरुवार को उन्होंने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को शिकायती पत्र देकर बताया कि उनकी जमीन का बिना बैनामा कराए ही खुदाई करा दी गई। उन्होंने संबंधित जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग किया। योगी कैबिनेट में डिप्टी CM को लेकर अभी भी सस्पेंस बरकरार, जानिए क्यों नहीं हो पा रहा ऐलान अखिलेश ने कहा - जनता को जस्टिस चाहिए जेसीबी नहीं!

मामले में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को एक ट्वीट के माध्यम से सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, ''उप्र में हो रहे अन्याय के ख़िलाफ़ अपर ज़िला जज श्री मनोज कुमार शुक्ला के मामले का तुरंत न्यायिक संज्ञान लिया जाए। जब न्यायालय से जुड़े व्यक्तियों के साथ ऐसा हो रहा है तो आम जनता के साथ क्या होगा। ये बदहाल क़ानून-व्यवस्था का निकृष्टतम उदाहरण है। जनता को जस्टिस चाहिए जेसीबी नहीं!'


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