काफी तेजी से बढ़ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था, दस साल में हो सकती है डबल

Webdunia
रविवार, 6 मई 2018 (16:03 IST)
मनीला। एशियाई विकास बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री यासुयूकी सवादा ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की 7 प्रतिशत से अधिक अनुमानित आर्थिक वृद्धि दर आश्चर्यजनक रूप से काफी तेज है और अगर यह गति बनी रहती है तो अर्थव्यवस्था का आकार एक दशक के भीतर ही दोगुना हो जाएगा। 
 
उन्होंने कहा कि देश को 8 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर हासिल नहीं करने को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए लेकिन आय विषमता दूर कर घरेलू मांग बढ़ाने पर गौर करना चाहिए। सवादा ने कहा कि वृद्धि को निर्यात की तुलना में घरेलू खपत से अधिक गति मिल रही है। 
 
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2018-19 में 7.3 प्रतिशत तथा 2019-20 में 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2017-18 में 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो कि इससे पिछले वर्ष 2016-17 के 7.1 प्रतिशत से कम है। 
 
एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री ने बातचीत में कहा कि 7 प्रतिशत वृद्धि आश्चर्यजनक रूप से काफी तेज है। अगर 7 प्रतिशत वृद्धि 10 साल तक बनी रहती है तो अर्थव्यवस्था का आकार दोगुना हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह वृद्धि दर काफी तेज है और क्षेत्र की सबसे बड़े आकार वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के चलते चालू वित्त वर्ष में 7.3 प्रतिशत तथा अगले वित्त वर्ष में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि वास्तव में आश्चर्य जनक है। 
 
भारतीय अर्थव्यवस्था का आकर 2,500 अरब डॉलर है और इस लिहाज से यह दुनिया की 6ठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चन्द्र गर्ग ने हाल में कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था दोगुनी होने के रास्ते पर है और 2025 तक 5,000 अरब डॉलर की हो जाएगी। 
 
सवादा ने कहा कि हालांकि 8 प्रतिशत वृद्धि दर प्राप्त करना फिलहाल भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। 7 प्रतिशत वृद्धि भी अच्छा आंकड़ा है और भारत को 8 प्रतिशत वृद्धि हासिल नहीं करने को लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए। 
 
यह पूछे जाने पर कि क्या निर्यात में तेजी आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए जरूरी है? उन्होंने कहा कि भारत की आधी आर्थिक वृद्धि दर निजी खपत पर आधारित है। उसके बाद निवेश का स्थान है और इसीलिए ऐसा जान पड़ता है कि घरेलू बाजार वृद्धि में प्रमुख भूमिका निभाएगा। 
 
सवादा ने कहा कि उच्च वृद्धि दर हासिल करने में असमानता तथा गरीबी में कमी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, क्योंकि खपत से उत्पादन में तेजी आएगी और रोजगार बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि गरीब लोगों की आजीविका यदि बेहतर होती है, तो वे अच्छे ग्राहक हो सकते हैं। मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा कि उच्च वृद्धि के लिए बाजार का विस्तार महत्वपूर्ण है। इसके अलावा आर्थिक वृद्धि को गति देने में सेवा क्षेत्र की भी अहम भूमिका होगी। (भाषा)

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