अयोध्या के बहुचर्चित राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भारत ही नहीं पूरी दुनिया की नजर है। ऐसे में राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के अग्रणी नेता रहे आचार्य धर्मेन्द्र महाराज ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अयोध्या की पहचान तो राम जन्मभूमि की वजह से ही है। वहां सिर्फ राम मंदिर ही बनेगा, इसमें किसी को भी संदेह नहीं होना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री महोदय को अयोध्या से क्या गुरेज है? वे अब तक अयोध्या क्यों नहीं गए?
देश में राम मंदिर के पक्ष में बनते माहौल से जुड़े एक सवाल में आचार्यजी ने कहा कि इसके पीछे संपूर्ण रामभक्तों के प्रयास हैं। उन्हीं में से मैं भी एक हूं। वेबदुनिया से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि पहली बात तो यह कि राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़े मुद्दे अदालत में जाने ही नहीं चाहिए। प्रचंड बहुमत मिलने के पश्चात केन्द्र की भाजपा सरकार का कर्तव्य था कि कानून बनाकर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करती।
आचार्यश्री ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री महोदय को अयोध्या से क्या गुरेज है? वे अब तक अयोध्या क्यों नहीं गए? जिस राम मंदिर आंदोलन ने आपको (पीएम) शून्य से शिखर तक पहुंचाया, आपका कर्तव्य था कि राम मंदिर के लिए कानून बनाते। अयोध्या की पहचान भगवान श्रीराम की जन्मभूमि से है। इसमें किसी को भी संदेह नहीं होना चाहिए। कौन-सा बाबर, कहां का बाबर, कौन-सा मीर बांकी, क्या लेना-देना उनका अयोध्या से? यह सब निर्बलता का परिचायक है।
उन्होंने कहा कि यदि सब कुछ ठीक-ठाक होता है तो ठीक है, अन्यथा अयोध्या में मंदिर तो बनकर ही रहेगा। हिन्दू जनता वहां राम मंदिर बनाएगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट में दोहराए जाने के प्रश्न पर आचार्य धर्मेन्द्र ने कहा कि राम मंदिर के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं होगा। हिन्दू कुछ भी स्वीकार नहीं करेगा।
अयोध्या में राम मंदिर बनने पर देश और समाज में क्या बदलाव आएगा? इस प्रश्न के उत्तर में आचार्यश्री ने कहा कि हमारा स्वाभिमान, हमारी अस्मिता पुष्ट होगी। राम भक्तों के मनोबल और संकल्प शक्ति की जीत होगी। बात सिर्फ इतनी ही नहीं है। मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का भी उद्धार होना है। काशी में भगवान विश्वनाथ छोटे से कमरे में कैद हैं। ज्ञानवापी मस्जिद का क्या लेना-देना वहां? अभी बहुत कुछ करना शेष है। यह सब हिन्दुओं की संकल्प शक्ति से ही संभव होगा और होना ही है। दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है।