अब बैंक ग्राहक चाहें तो आधार से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं। उच्चतम न्यायालय के आधार पर फैसला आने के बाद सरकार भी बड़ा कदम उठाने जा रही है। ऐसे में बैंक अब ग्राहकों से केवाईसी के अन्य डॉक्यूमेंट मांग सकता है। उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले ग्राहकों के लिए बैंक अकाउंट से आधार लिंक करना जरूरी बना दिया गया था।
बैंकर्स का कहना है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से नोटिफाइड अन्य दस्तावेज ग्राहकों को बैंक में जमा करने पड़ सकते हैं। आरबीआई की ओर से नोटिफाइड डॉक्यूमेंट- पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आई कार्ड, पैन कार्ड और राष्ट्रीय रोजगार गारंटी स्कीम का जॉब कार्ड है। आरबीआई ने इन दस्तावेजों को जुलाई 2017 में नोटिफाई किया था।
बैंक खाता खोलने के लिए जरूरी दस्तावेज के रूप में ये कागजात वास्तव में कालेधन पर रोक लगाने के हिसाब से जरूरी बनाए गए थे। जुलाई 2017 के नोटिफिकेशन से पहले के मान्य दस्तावेज अब भी मान्य रहेंगे। बैंक या फाइनेंस कंपनी की मांग के हिसाब से कोई अन्य दस्तावेज के मामले में बैंक अपने हिसाब से राशन कार्ड, बिजली बिल या नियोक्ता के पत्र से ग्राहकों की पहचान सुनिश्चित करते थे।
जुलाई 2017 के बाद आधार कानूनी रूप से भले ही बैंक अकाउंट के लिए जरूरी नहीं था, लेकिन बैंक केवाईसी दस्तावेज के लिए अन्य दस्तावेज की तुलना में आधार को प्राथमिकता देते थे। बैंक अब उन ग्राहकों की स्थिति के बारे में समझना चाहते हैं जिनका आधार बैंक खाते से लिंक्ड है।
उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले ग्राहकों के लिए बैंक अकाउंट से आधार लिंक करना जरूरी बना दिया गया था। अब उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद यह स्वैच्छिक हो गया है। ग्राहक बैंक से अपना आधार डीलिंक भी करा सकते हैं।