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श्रीनगर में 11 महीनों में 9 मुठभेड़ें, 14 आतंकी ढेर

वर्ष 2020 के मुकाबले 2021 में नागरिक ज्यादा मरे, ग्रेनेड हमले भी ज्यादा

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सुरेश एस डुग्गर

, रविवार, 12 दिसंबर 2021 (10:48 IST)
जम्मू। राजधानी शहर श्रीनगर में इस साल अभी तक 9 भीषण मुठभेड़ें हो चुकी हैं। इनमें 14 दुर्दांत आतंकी मारे जा चुके हैं। खबर यह नहीं है कि श्रीनगर में कितनी मुठभेड़ें हुईं और कितने आतंकी मरे, बल्कि खबर यही है कि प्रत्येक मुठभेड़ और आतंकी की मौत के बाद कश्मीर पुलिस ने श्रीनगर को आतंकी मुक्त घोषित किया है।
 
चिंता का विषय यह भी है कि वर्ष 2020 के मुकाबले श्रीनगर में इस साल नागरिकों की हत्याओं में जबरदस्त उछाल आया है तथा ग्रेनेड हमले भी दोगुने हो चुके हैं।
 
पुलिस इसे मानती है कि श्रीनगर आतंकियों के निशाने पर है। कारण स्पष्ट है। श्रीनगर में होने वाली किसी भी आतंकी वारदात, हमला, मौत के बाद आतंकी विश्व की सुर्खियों में स्थान पाने में हमेशा कायमाब होते हैं। और उनकी यही कोशिश होती है कि वे किसी तरह से सुर्खियों में रहें।
 
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अगर पुलिस के ही आंकड़ों पर विश्वास करें तो इस साल आतंकियों ने श्रीनगर में 12 से अधिक ग्रेनेड हमले किए जो पिछले साल के मुकाबले दोगुने थे। हालांकि इस साल भी पिछले साल की ही तरह अभी तक श्रीनगर में 10 ही सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं पर पिछले साल 4 नागरिकों को आतंकियों ने मारा था तो इस साल अभी तक वे 14 से अधिक नागरिकों को मार चुके हैं।
 
जम्मू कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह भी इसे मानते हैं कि आतंकियों तथा आतंकी गुटों का जोर श्रीनगर में आतंक की लहर फैलाना है जिसे रोकने में सुरक्षाबल पूरी तरह से कामयाब रहे हैं। हालांकि वे इसे भी मानते थे कि कभी कभार होने वाली मुठभेड़ श्रीनगर को हिला कर रख देती है क्योंकि अंततः सुरक्षाबलों को उस घर को नेस्तनाबूद कर आतंकियों को ढेर करना पड़ता है जहां आतंकी शरण लिए होते हैं।
 
यह भी सच है कि कश्मीर पुलिस के सबसे अधिक सूत्र और गुप्तचर श्रीनगर जिले में ही सक्रिय हैं क्योंकि वे किसी भी तरह से आतंकियों को प्रचार व सुर्खियों की आक्सीजन से दूर रखना चाहते हैं जो उन्हें श्रीनगर में हमला बोल या हत्या करने से मिलती है।
 
आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में इस साल अभी तक 100 से अधिक अभियानों में से 25 श्रीनगर में ही चलाए गए जिनमें से 9 में कामयाबी मिली थी और कुल 190 के करीब आतंकी पूरे प्रदेश में ढेर किए गए। इस कामयाबी को पाने के लिए सुरक्षाबलों को भी 48 सैनिकों को खोना पड़ा है।

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