नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ सुनवाई करेगी। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने इस मामले को लेकर लगी 14 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पूरे मामले को 5 जजों की संवैधानिक पीठ को भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ इस मामले को लेकर लगी सभी याचिकाओं पर अक्टूबर के पहले हफ्ते में सुनवाई करेगी।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार के फैसले पर किसी भी तरह का स्टे देने से भी इंकार कर दिया। साथ ही कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में किसी भी तरह के वार्ताकार नियुक्त करने की मांग करने वाली मांग को ठुकरा दिया है।
इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने कहा कि पूरा मुद्दा संवैधानिक प्रकिया से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस पूरे मामले पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच करेगी।
इस फैसले के बाद अब अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ लगी सभी याचिकाओं की सुनवाई एक साथ अक्टूबर के पहले हफ्ते में होगी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जम्मू कश्मीर में हालात सामान्य होने की कोशिश हो रही है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में मीडिया की आजादी को लेकर दायर याचिक पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
इसके साथ ही कोर्ट ने कश्मीर में इंटरनेट, लैंडलाइन सहित संचार के अन्य साधनों को बहाल करने के लिए दायर याचिका पर केंद्र सरकार से सात दिन के अंदर जवाब देने को कहा है।
इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी को श्रीनगर जाने की इजाजत दे दी है। कोर्ट में सीताराम येचुरी ने विधायक एमवाई तरिगामी से मिलने की अनुमति मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने येचुरी को सशर्त अनुमति देते हुए केवल विधायक से दोस्त की तरह मिलने की अनुमति दी न कि किसी राजनीतिक उद्देश्य से।
किसने लगाई है याचिका : जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी, कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला, नेशनल कॉन्फेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन, पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैजल, जेएनयू की पूर्व छात्रा शेहला रशीद, रिटायर्ड जस्टिस हसनैन मसूदी सहित कई अन्य लोगों ने याचिका दायर की है।