Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने 5 बड़ी चुनौतियां ?

हमें फॉलो करें कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने 5 बड़ी चुनौतियां ?
webdunia

विकास सिंह

, गुरुवार, 30 मार्च 2023 (12:44 IST)
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद अब चुनावी बिगुल बज चुका है। राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा पूरी ताकत के साथ सत्ता में लगातार दूसरी बार वापसी कर उस मिथक को तोड़ने में जुट गई है जिसमें 38 साल से राज्य में किसी भी पार्टी ने सत्ता में  वापसी नहीं की है। राज्य में सत्ता वापसी में भाजपा के सामने एक नहीं कई चुनौतियां है।  

1-सत्ता विरोधी लहर से पार पाने की चुनौती- कर्नाटक में भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती सत्ता विरोधी लहर यानि एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर की काट निकालना है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की सरकार भ्रष्टाचार सहित कई अन्य मोर्चो पर घिरी है। भ्रष्टाचार के साथ राज्य में बेरोजगारी और मंहगाई के कारण एंटी इंकम्बेंसी सतह पर दिखाई दे रही है और इससे निपटना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा।

एक चुनावी सर्वे के मुताबिक कर्नाटक में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर चल रही है। सर्वेक्षण के अनुसार  कम से कम 57 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वह परेशान हैं और राज्य सरकार को बदलना चाहते हैं। चुनावी राज्य में बेरोजगारी और बुनियादी ढांचे के बाद भ्रष्टाचार तीसरा सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। सर्वे में 50.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने भाजपा सरकार के प्रदर्शन को 'खराब' बताया। वहीं  केवल 27.7 प्रतिशत ने सरकार के काम को 'अच्छा' और अन्य 21.8 प्रतिशत ने 'औसत' के रूप में प्रदर्शन का मूल्यांकन किया।
 ALSO READ: कर्नाटक चुनाव में मोदी और राहुल की अग्निपरीक्षा, क्या 38 साल पुराना मिथक तोड़ पाएगी BJP?
2-पार्टी को एकजुट और भितरघात से निपटने की चुनौती- कर्नाटक में भाजपा के सामने सबड़े चुनौती पार्टी को एकजुट करना है। राज्य में चुनाव तारीखों का एलान होने के साथ ही मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कांग्रेस पर अपने विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस भाजपा  विधायकों को टिकट का लालच देकर तोड़ने की कोशिश में है। सत्ता पक्ष के विधायकों को तोड़ने  का आरोप सहीं नहीं है।

कर्नाटक में जिस तरह भाजपा ने डेढ़ साल पहले येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाकर बसवराज बोम्मई को सत्ता सौंपी थी उसके पार्टी के कई सीनियर नेता नाराज बताए जा रहे है और चुनाव में पार्टी को भितरघात का सामना कर पड़ सकता है।

3-परिवारवाद से निपटने की चुनौती-चुनावी राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा परिवारवाद को लेकर कांग्रेस पर हावी होती आई है लेकिन कर्नाटक में भाजपा के लिए हालात थोड़े अलग है। राज्य में भाजपा परिवारवाद को मुद्दा बना पाएगी यह सबसे बड़ा सवाल है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के पिता एसआर बोम्मई खुद कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके है। वहीं राज्य में भाजपा सरकार के कई मंत्री और विधायक परिवारवाद के चेहरे है ऐसे में भाजपा टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार तक कैसे परिवारवाद की चुनौती से निपटेगी, यह बड़ा सवाल बना हुआ है।

4-लिंगायत को साधने की चुनौती- कर्नाटक में भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती लिंगायत वोट बैंक को साधने  की है। 80 साल के येदियुरप्पा जो राज्य में लिंगायत समुदाय के सबसे बड़े नेता माने जाते है उनको आगे कर भाजपा लिंगायत समुदाय को ये संदेश देने की कोशिश कर रही है उसने लिंगायत समुदाय को दरकिनार नहीं किया है। राज्य में उत्तरी इलाके और मध्य कर्नाटक की 100 सीटों पर अपन असर डालते है वहीं 50 सीटों  पर लिंगायत वोटर्स निर्णायक भूमिका अदा करते है। कर्नाटक में चुनाव तारीखों के एलान से पहले लिंगायत समुदाय ने आरक्षण की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के घर पर हंगामा कर अपने तेवर दिखा दिए थे। ऐसे में भाजपा को  अगर सत्ता में वापसी कर नई इबारत लिखना है तो उसे लिंगायत को साधना ही होगा। 

5-राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस की तगड़ी चुनौती- दक्षिण के द्वार कहे जाने वाले कर्नाटक में भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से है और कांग्रेस ने सत्ता में वापसी के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार की अगुवाई में कांग्रेस ने अपने चुनावी कैंपने का आगाज कर दिया है। वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का गृह राज्य भी कर्नाटक है। राज्य में चुनाव तरीखों के ऐलान से पहले ही कांग्रेस ने 224 विधानसभा सीटों में से 124 पर अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान कर अपनी चुनावी  ताकत दिखा दी है

कर्नाटक में कांग्रेस राहुल गांधी के सांसदी रद्द होने को चुनावी मुद्दा बनाने जा रही है। ‘मोदी सरनेम’ को लेकर राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 2019 में दिए जिस बयान पर उनकी संसद सदस्यता रद्द की गई है अब राहुल उसकी कोलार से 5 अप्रैल को ‘सत्यमेव जयते’ आंदोलन शुरु कर मोदी सरकार के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन की शुरुआत करेंगे।  

ऐसे में साफ है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस राहुल गांधी के सहारे सहानुभूति कार्ड खेल कर वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है। कर्नाटक के सियासी इतिहास को देखा जाए तो राज्य में कांग्रेस एक मजबूत ताकत के रूप में है और 2018 के विधानसभा चुनाव के परिणामोंं ने इसको साबित भी किया था। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

संभाजीनगर में रामनवमी से पहले तनाव, भीड़ ने किया पुलिस पर हमला