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टनल में 9 दिन से फंसे हैं 41 मजदूर, क्यों बढ़ता जा रहा खतरा?

हमें फॉलो करें टनल में 9 दिन से फंसे हैं 41 मजदूर, क्यों बढ़ता जा रहा खतरा?
, सोमवार, 20 नवंबर 2023 (09:57 IST)
Uttarakhand Tunnel Accident: उत्तरकाशी में टनल के भीतर फंसे 41 लोगों को की जिंदगी पर पिछले 8 दिनों से मंडरा रहा खतरा अब भी कम नहीं हो रहा है। हालांकि रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है। अब रेस्क्यू में सेना की मदद ली जाएगी। केन्द्रीय मंत्री नितिन गड़करी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को टनल के निरीक्षण के बाद कहा कि अब 6 विकल्पों पर काम चल रहा है और इस पूरे ऑपरेशन में दो से ढाई दिन का वक्त और लग सकता है।

उत्तरकाशी में 12 नवंबर को दिवाली के दिन निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर से मुहाने से 270 मीटर अंदर करीब 30 मीटर का हिस्सा ढह गया था और तब से 41 श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं। उन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव एवं राहत अभियान चलाया जा रहा है। श्रमिकों के लिए 'एस्केप पैसेज' तैयार करने के लिए ड्रिलिंग रविवार को भी स्थगित रही। फंसे लोगों को जरूरी सामान की आपूर्ति के लिए मलबे में एक और बड़े व्यास की पाइपलाइन डाली जा रही है।

छोटी मशीन की जगह मलबा भेदने के लिए लाई गई अमेरिकी आगर मशीन को शुक्रवार दोपहर को ड्रिलिंग के दौरान किसी कठोर सतह से टकराने के बाद रोक दिया गया था। उस समय तक मशीन मलबे में 22 मीटर तक ड्रिलिंग करने के बाद छह मीटर लंबे चार पाइप डाल चुकी थी और पांचवें पाइप को डाले जाने की कार्यवाही गतिमान थी। नितिन गडकरी ने बताया कि अमेरिकी ऑगर मशीन जब मुलायम मिट्टी में ड्रिलिंग कर रही थी तब वह सही तरीके से काम कर रही थी, लेकिन जब इसके सामने एक कठोर बाधा आई तो समस्या आने लगी। इस कारण मशीन को ज्यादा दवाब डालना पड़ा जिससे कंपन हुआ और सुरक्षा कारणों से इसे रोक दिया गया।

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ‘आलवेदर सड़क’ (हर मौसम में आवाजाही के लिए खुली रहने वाली सड़क) परियोजना का हिस्सा है।

सुरंग का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के तहत किया जा रहा है। निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर से मुहाने से 270 मीटर अंदर करीब 30 मीटर का हिस्सा पिछले रविवार सुबह करीब साढ़े 5 बजे ढह गया था और तब से श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं। उन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव एवं राहत अभियान चलाया जा रहा है।

बचाव अभियान शुक्रवार दोपहर को निलंबित कर दिया गया था जब श्रमिकों के निकलने का मार्ग तैयार करने के लिए ड्रिल करने के वास्ते लगायी गई अमेरिका निर्मित ऑगर मशीन में खराबी आ गई। इसके बाद चिंता बढ़ गई।
 
जैन ने बताया कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा केवल एक दिन में एक पहुंच मार्ग का निर्माण पूरा करने के बाद आरवीएनएल ने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए एक और लम्बवत पाइपलाइन पर काम करना शुरू कर दिया है।
 
इसके अलावा, टिहरी जलविद्युत विकास निगम (टीएचडीसी) बड़कोट छोर से 'माइक्रो टनलिंग' का काम शुरू करेगा, जिसके लिए भारी मशीनरी पहले ही जुटाई जा चुकी है। टीएचडीसी आज रात से ही कार्रवाई शुरू कर देगा।
 
फंसे हुए मजदूरों को निकालने के लिए एसजेवीएनएल लंबवत ड्रिलिंग करेगा। तदनुसार, रेलवे के माध्यम से गुजरात और ओडिशा से उपकरण जुटाए गए हैं क्योंकि 75-टन उपकरण होने के कारण इसे हवाई मार्ग से नहीं ले जाया जा सकता था।
 
गहरी ड्रिलिंग में विशेषज्ञता रखने वाला ओएनजीसी ने बरकोट छोर से लंबवत ड्रिलिंग का शुरुआती काम भी शुरू कर दिया है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार सभी मजदूरों को सुरक्षित निकलने के लिए प्रतिबद्ध है। हम उत्तरकाशी के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों को मल्टीविटामिन, अवसाद रोधी दवाएं और सूखे मेवे भेज रहे हैं।’’
 
केंद्र सरकार ने शनिवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की थी, जिसमें श्रमिकों को बचाने के लिए पांच विकल्पों पर विभिन्न एजेंसियों के साथ चर्चा की गई जिन्हें विशिष्ट विकल्पों पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपा गयी थी।
 
एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद को सभी केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय का प्रभारी बनाया गया है और उन्हें सिलक्यारा में तैनात किया गया है।
 
जैन ने कहा कि सरकार लगातार संपर्क बनाए हुए है और सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों का मनोबल बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘जिस क्षेत्र में मजदूर फंसे हुए हैं, वह 8.5 मीटर ऊंचा और दो किलोमीटर लंबा है। इसमें सुरंग का निर्मित हिस्सा शामिल है जहां कंक्रीटिंग का काम पूरा हो गया है, जिससे श्रमिकों को सुरक्षा मिल रही है।’’
 
जैन ने कहा कि एनएचआईडीसीएल खाद्य सामग्री श्रमिकों तक पहुंचाने के लिए छह इंच की एक और पाइपलाइन बना रहा है और 60 मीटर में से 39 मीटर की ड्रिलिंग का काम पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा, ‘‘एक बार इस सुरंग के तैयार हो जाने पर, इससे अधिक खाद्य सामग्री पहुंचाने में सुविधा होगी।’’
 
वहीं, उत्तराखंड पहुंचे केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है और उन्हें जल्द बाहर निकालना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है ।
 
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ मौके पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विषम हिमालयी परिस्थितियों को देखते हुए बचाव अभियान चुनौतीपूर्ण है ।
 
उन्होंने कहा कि यहां मिट्टी का स्तर एक समान नहीं है और यह मुलायम और कठोर दोनों है जिससे यांत्रिक अभियान चलाया जाना मुश्किल है। 
Edited by navin rangiyal/एजेंसियां

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