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क्या बंद होने वाला है 2000 का नोट?, सरकार ने संसद में दिया जवाब

हमें फॉलो करें क्या बंद होने वाला है 2000 का नोट?, सरकार ने संसद में दिया जवाब
नई दिल्ली , शनिवार, 11 अगस्त 2018 (10:01 IST)
नई दिल्ली। नोटबंदी के 2000 के नोट सरकार ने जारी किया था। इसके बाद ये खबरें फैल रही थीं कि सरकार जल्द 2000 के नोट को वापस ले लेगी। 2000 के नोट को लेकर सरकार ने लोकसभा में कहा कि दो हजार के नोट वापस लेने का कोई प्रस्‍ताव नहीं है। आरबीआई ने नवंबर 2016 में 500 रुपए और 1000 रुपए के नोट को हटाने के बाद 2,000 नोट जारी किया था। एक सवाल कि क्‍या सरकार जल्‍द दो हजार रुपए के नोट वापस लेने वाली है, लोकसभा में इसका जवाब देते हुए वित्‍त राज्‍यमंत्री राधाकृष्‍णन ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्‍ताव नहीं है।
 
 
एटीएम से 2000 के नोट नहीं निकलने पर लोगों में ये अफवाह फैल गई थी कि सरकार अब 2000 के नोट भी बंद करने वाली है। इसके अलावा नोट छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस से भी ये खबरें थी कि 2000 के नोट की छपाई बंद हो गई है। इस पर सरकार ने कहा कि नोट बंद करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्‍होंने कहा कि विशेष प्रकार के नोट (एसबीएन) भारतीय रिजर्व बैंक को सीधे, बैंक की शाखाओं या पोस्ट ऑफिस से प्राप्‍त किए गए थे। ये नोट प्रमाणीकरण और संख्या सटीकता के सत्यापन के अधीन हैं। उन्‍होंने कहा कि यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। मुद्रा सत्यापन और प्रसंस्करण प्रणाली (सीवीपीएस) में ऑनलाइन परिष्‍कृत नोटों को नष्ट कर दिया गया है।
 
एक अन्‍य सवाल के जवाब में वित्‍त राज्‍य मंत्री शिव प्रताप शुक्‍ला ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में 2008 से 2014 तक आक्रामक उधार देने की अवधि देखी गई। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक उधार देने में कुल वृद्धि 18.2 लाख करोड़ से बढ़कर 52.16 लाख करोड़ रुपए हो गई है।
 
उधार देने के मामले में प्रभाव डालने वाली परिसंपत्तियों में बढ़ोतरी, आकस्मिक उधार प्रथा, कुछ मामलों में जानबूझकर डिफ़ॉल्ट/ ऋण धोखाधड़ी/ भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी के कारण अन्य बातों के साथ-साथ देखा गया है। स्वच्छ और पूरी तरह से नियमबद्ध बैंक बैलेंस शीट के लिए 2015 में शुरू की गई संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा (एक्यूआर) ने एनपीए की उच्च घटनाओं का खुलासा किया। 
 
तनावग्रस्त ऋण, जो पुनर्गठित ऋण को दिए गए लचीलेपन के कारण पहले नहीं दिए गए थे, को एनपीए के रूप में पुन: वर्गीकृत किया गया था और इसके लिए फिर दिए गए। उन्‍होंने कहा कि सार्वजनिक बैंकों (पीएसबी) ने एनपीए को पहचानकर सफाई की शुरुआत की और अनुमानित घाटे के लिए प्रदान किया गया। नतीजतन, पीएसबी ने वित्त वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही में 36,725 करोड़ रुपए के कुल परिचालन लाभ की सूचना दी, जबकि पीएसबी द्वारा एनपीए की पारदर्शी मान्यता और उम्र बढ़ने की आवश्यकता के कारण 54,822 करोड़ रुपए का प्रावधान है। उन्‍होंने कहा कि इस तिमाही में 18,09 8 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ है। (भाषा)

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