नई दिल्ली। मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना के 2 वर्ष पूरे हो गए। यह योजना 1.26 करोड़ लोगों के लिए वरदान साबित हुई।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि सितंबर 2018 में आयुष्मान भारत योजना शुरू होने के बाद से अब तक 1.26 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को इस योजना के तहत मुफ्त उपचार मिला है।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि अभी तक 23,000 से अधिक अस्पतालों को पैनल में शामिल किया गया है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई के तहत आवंटित कुल राशि का 57 प्रतिशत कैंसर, हृदय संबंधी बीमारियों, अस्थिरोग और नवजात शिशुओं के उपचार में उपयोग हुआ है।
हर्षवर्धन ने योजना शुरू होने की दूसरी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 'आरोग्य मंथन' 2.0 की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा, 'इस योजना के तहत 15,500 करोड़ रुपये से अधिक का उपचार किया गया है। इसने करोड़ों जिंदगियों और घरों को तबाह होने से बचाया है।
कैसे किया गया लाभार्थियों का चयन? गरीबों के लिए मेडिक्लेम मानी जाने वाली इस योजना के तहत 10 करोड़ परिवारों का चयन 2011 की जनगणना के आधार पर किया गया है। देश की लगभग 40 प्रतिशत आबादी को इस योजना का लाभ मिल रहा है। आधार नंबर से परिवारों की सूची तैयार की गई है। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसी पहचान पत्र की जरूरत नहीं होगी।
सभी खर्च योजना में कवर : किसी भी बीमारी की स्थिति में अस्पताल में एडमिट होने से पर इस पर होने वाले सभी खर्च योजना के तहत कवर किए जाते हैं। इसमें पुरानी बीमारियों को भी कवर किया गया है। योजना का लाभ लेने के लिए परिवार के आकार या उम्र की कोई सीमा तय नहीं की गई है।
कैसे मिलेगा लाभ : मरीज को अस्पताल में भर्ती होने के बाद अपने बीमा दस्तावेज देने होंगे। इसके आधार पर अस्पताल इलाज के खर्च के बारे में बीमा कंपनी को सूचित कर देगा और बीमित व्यक्ति के दस्तावेजों की पुष्टि होते ही इलाज बिना पैसे दिए हो सकेगा। इस योजना के तहत बीमित व्यक्ति सिर्फ सरकारी ही नहीं बल्कि निजी अस्पतालों में भी अपना इलाज करवा सकेगा। निजी अस्पतालों को जोड़ने का काम शुरू हो चुका है। इससे सरकारी अस्पतालों में अब भीड़ कम होगी। सरकार इस योजना के तहत देशभर में डेढ़ लाख से ज्यादा हेल्थ और वेलनेस सेंटर खोलेगी जोकि आवश्यक दवाएं और जांच सेवाएं निःशुल्क मुहैया कराएंगे।