नई दिल्ली। भारतीय रेलवे में दोहरीकरण, विद्युतीकरण, अमान परिवर्तन एवं नई लाइन बिछाना आदि क्षमता संवर्धन का काम मार्च 2024 तक पूरा हो जाएगा, जिसके बाद देश में कम से कम 1500 नई ट्रेनें चलाई जाएंगी, लेकिन उनमें से 150 ट्रेनों को ही निजी ऑपरेटरों को दिया जाएगा। बाकी गाड़ियां रेलवे ही चलाएगा।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय रेलवे द्वारा इस समय करीब 13 हजार यात्री ट्रेनें और लगभग 9 हजार मालगाड़ियां चलाई जाती हैं। रेलवे ने अपने नेटवर्क की क्षमता में वृद्धि के उद्देश्य से 2014 से सालाना पूंजीगत निवेश को लगभग 3 गुना कर दिया है।
नेटवर्क में कन्जेशन वाली 58 सुपर क्रिटिकल परियोजनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता पर लिया गया है, जिनमें से 8 पर काम पूरा हो चुका है। बाकी 50 पर 2 मार्च 2022 तक काम पूरा हो जाएगा। उन्होंने बताया कि देश का 60 प्रतिशत रेल यातायात इन्हीं खंडों पर चलता है।
यादव ने बताया कि रेलवे बोर्ड ने रणनीतिक रूप से 89 प्रतिशत राशि उन परियोजनाओं के लिए दी है जो 2 साल में पूरे हो जाएंगी। इसके अलावा 3800 करोड़ रुपए जम्मू-कश्मीर एवं पूर्वोत्तर में राष्ट्रीय महत्व की कुल 4 रेल परियोजनाओं के लिए दी गई है। इस प्रकार से 51 हजार 359 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
लगभग 11 प्रतिशत राशि नई परियोजनाओं के लिए दी गई है, जिससे उनके क्रियान्वयन के पहले की मंजूरियां, भूमि अधिग्रहण आदि औपचारिकताएं पूरी की जा सकें। उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड का मानना है कि औपचारिकताएं एवं आवश्यक तैयारी के बाद लाइन बिछाने का काम शुरू हो जो 2 से 3 साल में पूरा हो जाए।
उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर में कटरा से बानिहाल तक का 111 किलोमीटर का खंड जून 2022 तक बनकर तैयार हो जाएगा, जिसमें 97 किलोमीटर लंबी सुरंगें और 66 किलोमीटर की एस्केप सुरंगें होंगी। उन्होंने यह भी बताया कि 2014 से 2019 के बीच 13 हजार 124 किलोमीटर दोहरीकरण-तिहरीकरण, नई लाइन, अमान परिवर्तन का काम किया है।
इस समय 9.85 किलोमीटर पटरी प्रतिदिन डाली जा रही है। इस दौरान 115 परियोजनाएं पूरी हो गई हैं जिन पर 71 हजार 712 करोड़ रुपए की लागत आई है। मार्च 2023 तक देशभर में अमान परिवर्तन की सारी परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी, हालांकि कुछ विरासत वाली लाइनों को बरकरार रखा जाएगा।
यादव ने बताया कि दोहरीकरण, तिहरीकरण एवं चौथी लाइन बनाने के काम मार्च 2024 तक पूरे हो जाएंगे। इस प्रकार से देश के रेलवे नेटवर्क की क्षमता इतनी बढ़ जाएगी कि करीब 1500 ट्रेनें और चलाई जा सकें।