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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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नागपंचमी पर करेंगे विशेष पूजा, तो शिव के साथ नवग्रह भी होंगे प्रसन्न

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नागपंचमी को चंद्रमा की राशि कन्या होती है और राहु का स्वगृह कन्या राशि है। राहु के लिए प्रशस्त तिथि, नक्षत्र एवं स्वगृही राशि के कारण नागपंचमी सर्पजन्य दोषों की शांति के लिए उत्तम दिन माना जाता है। पंचमी तिथि को भगवान आशुतोष भी सुस्थानगत होते हैं। इसलिए इस दिन सर्प शांति के अंतर्गत राहु-केतु का जप, दान, हवन उपयुक्त होता है। अन्य दुर्योगों के लिए शिव का अभिषेक, महामृत्युंजय मंत्र का जप, यज्ञ, शिव सहस्रनाम का पाठ, गौ दान का भी विधान है।
 
नागपंचमी पर्व पर शिव की आराधना करें
 
नाग पंचमी के दिन नाग की पूजा के साथ-साथ नागों के देवता देवाधिदेव महादेव की भी पूजा करना चाहिए। काल सर्प दोष निवारण के लिए नाग पंचमी के दिन नागनुमा अंगूठी बनवाकर उसकी प्राण-प्रतिष्ठा कर उसे धारण करें। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में तांबे का सर्प बनवाकर उसकी पूजा करके शिवलिंग पर चढ़ाएं तथा इससे पूर्व एक रात उसे घर में ही रखें। नाग पंचमी को एक नाग-नागिन सपेरों से बंधन मुक्त कराने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। 
 
कहां जाकर कर सकते हैं पूजा 
 
इस अवसर पर पितृ तर्पण कर नागाबली और नारायण नागाबली का प्रयोग पितरों की मुक्ति और शांति हेतु उज्जैन के सिद्धवट या गया कोठा तीर्थ पर अवश्य करना चाहिए। इसके अलावा गया तीर्थ (गुजरात), पिचाश मोचनि कुण्ड(बनारस), कालहस्ती, नारायणी शिला(हरिद्वार),  गया जी(बिहार) आदि प्रमुख तीर्थ स्थलों पर यह प्रयोग संपन्न किया जा सकता है।
 
वेबदुनिया की ज्योतिष टीम के अनुसार इस दिन पितृ दोष से परेशान जातक को ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। राहु कवच या राहु स्त्रोत का पाठ करें। तेल से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करवाने से भी तत्काल व प्रभावी परिणाम मिलते हैं। सातमुखी रुद्राक्ष गले में पहनें तथा काल सर्प योग के साथ-साथ चंद्र राहु, चंद्र केतु, सूर्य-केतु, एक भी ग्रहण योग हो तो केतु का रत्न लहसुनिया मध्यमा अंगुली में पहनें।
 
ग्रहण योग की शांति भी इस दिन संपन्न की जा सकती है। जैसे किसी की जन्मकुंडली में सूर्य-राहु, सूर्य-केतु, चन्द्र -केतु या चन्द्र-राहु साथ बैठे हैं, तो यह ग्रहणदोष है, जिसकी शांति नागपंचमी के दिन करवाई जा सकती है।
 
इसके अलावा आप घर व कार्यालय में मोर पंख रखें व कालसर्प निदान के लिए शांति विधान करें। चंदन की लकड़ी पर चांदी का जोड़ा बनवाकर पूजा करके इसे धारण करना उत्तम होगा।

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