यह बाहरी संक्रमण की वजह से नहीं बल्कि शरीर की आंतरिक प्रणाली में कमी के कारण होती है। शरीर की आंतरिक प्रणाली में कमी की वजह महिलाओं की खरब और अनियमित दिनचर्या भी हो सकती है। कई बार अधिक तनाव में रहने से भी आंतरिक प्रणाली खराब हो सकती है।
यदि किसी महिला की इम्युनिटी पावर कमजोर है तब भी यह बीमारी हो सकती है। इस बीमारी में गर्भाशय में अतिरिक्त कोशिकाओं का निर्माण भी हो जाता है।
कई बार किसी प्रकार का घाव या सर्जरी होने की वजह से भी यह बीमारी हो सकती है।
यदि किसी महिला को एंडोमेट्रिओसिस है तो उसे इन परेशानियां का सामना करना पड़ सकता है-
-महिलाओं को पेट दर्द रहना
-गर्भधारण न कर पाना
-हड्डियों में दर्द रहता है
-चेहरे पर झाइयां
-त्वचा का मुरझाना
-बाल झड़ना, सफ़ेद होना
-भूलने लगना, इरिटेट होना
-हाई बीपी
-किडनी का कमज़ोर होते जाना
-आंखों की रौशनी कम होना
-इस बीमारी से ग्रस्त महिला कंसीव नहीं कर पाती, क्योंकि स्पर्म फैलोपियन ट्यूब तक नहीं जा पाता
-इसमें गर्भ (एंडोमेट्रियम) को ढकने वाले टिश्यूज ओवरीज या गर्भाशय के आसपास विकसित होने लगते हैं
-पीरियड्स के दौरान खून के गहरे थक्के ओवरीज में जमा हो जाना
-पेल्विक एरिया और आस-पास खून के धब्बे जम जाते हैं, जिससे आंतें, ट्यूब्स और ओवरीज आपस में चिपक जाती हैं।