भारत दलाई लामा के जरिए चीन पर दबाव क्यों नहीं बनाता?

अनिल जैन
शुक्रवार, 10 जुलाई 2020 (16:30 IST)
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर पिछले 2 महीने से जारी तनाव फिलहाल तो जैसे-तैसे खत्म हो गया है, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं कि यह विवाद फिर से पैदा नहीं होगा। अतीत के अनुभव भी बताते हैं और भारत-चीन संबंधों पर नजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकारों का भी मानना है कि चीन अपने विस्तारवादी मंसूबों को अंजाम देने की दिशा में हमेशा 4 कदम आगे बढ़ाकर 2 कदम पीछे हटने की रणनीति पर काम करता रहा है।
ALSO READ: नरेंद्र मोदी ने दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई क्यों नहीं दी
चीन ऐसा सिर्फ भारत के साथ ही नहीं करता है बल्कि जापान और वियतनाम जैसे पड़ोसियों से भी अक्सर उसकी तू-तू, मैं-मैं होती रहती है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि वह आने वाले समय में उससे सटे भारत के सीमावर्ती इलाकों में फिर गलवान या डोकलाम जैसी कोई कोई-न-कोई खुड़पेंच करेगा ही।
 
चूंकि भारत और चीन बड़े व्यापारिक साझेदार भी हैं। दोनों देशों का आपसी व्यापार करीब 95 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। चीन की कई कंपनियों ने बड़े पैमाने पर भारत में निवेश कर रखा है। दोनों ही देश परमाणु शक्ति संपन्न भी हैं इसलिए दोनों के बीच युद्ध भी संभव नहीं है। ऐसे में भारत सिर्फ अपने कूटनीतिक कौशल से ही चीन को जवाबी तौर पर परेशान करते हुए उसे अपनी हद में रहने के लिए मजबूर कर सकता है।
 
लेकिन इस सिलसिले में भी भारत का सबसे कमजोर पक्ष यह है कि नेपाल, भूटान, श्रीलंका, म्यांमार जैसे तमाम पड़ोसी देश जो कभी भारत के घनिष्ठ मित्र हुआ करते थे, वे अब चीन के पाले में हैं। पाकिस्तान की पीठ पर तो पहले से चीन का हाथ है और बांग्लादेश भी भारत के बजाय अब चीन के ज्यादा नजदीक है। इस सबके बावजूद भारत के पास एक ऐसा 'हथियार' है जिसके जरिए चीन को परेशान किया जा सकता है, छकाया जा सकता है। उस नायाब हथियार का नाम है- दलाई लामा।
 
तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा अपने हजारों तिब्बती अनुयायियों के साथ पिछले 6 दशक से भारत में राजनीतिक शरण लिए हुए हैं। वे अब 85 साल के हो चले हैं। करीब 1 दशक पहले उन्होंने निर्वासित तिब्बत सरकार के मुखिया की जिम्मेदारी से मुक्त होने का ऐलान कर खुद को राजनीतिक गतिविधियों से अलग कर लिया था। उनका मूल नाम तेनजिन ग्यात्सो है। उन्हें उनके पूर्ववर्ती 13 दलाई लामाओं का अवतार माना जाता है।
ALSO READ: अमेरिका चीन पर हुआ और सख्त, तिब्बत को लेकर की नई वीजा पाबंदियों की घोषणा
तिब्बती बौद्ध पदाधिकारियों के एक दल ने जब उनके अवतार होने का ऐलान किया था, तब उनकी उम्र महज 2 साल की थी और 4 साल का होने से पहले ही उन्हें विधिवत दलाई लामा के पद पर आसीन करा दिया गया था। यह वह समय था, जब तिब्बत एक स्वतंत्र देश था। बाद में चीन ने अपनी आजादी के कुछ समय बाद ही तिब्बत पर हमला कर उसे अपना हिस्सा घोषित कर दिया था।
तिब्बती सरकार के मुखिया की जिम्मेदारी और राजनीतिक गतिविधियों से निवृत्त होने के बाद दलाई लामा के ऐलान को चीनी नेतृत्व ने एक नाटक करार दिया था। हालांकि दलाई लामा ने तब से ही अपनी घोषणा के मुताबिक खुद को राजनीतिक गतिविधियों से अलग रखते हुए आध्यात्मिक गतिविधियों तक ही सीमित कर रखा है। इसके बावजूद चीनी हुक्मरान दलाई लामा को लेकर अब भी आशंकित रहते हैं।
 
दलाई लामा ने तिब्बती परंपरा के विपरीत यह ऐलान भी कर रखा है कि उनके उत्तराधिकारी यानी 15वें दलाई लामा का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से किया जाएगा। लेकिन चीनी नेतृत्व इस इंतजार में हैं कि कब मौजूदा दलाई लामा की इस दुनिया से रवानगी हो और वे अपनी मर्जी का कठपुतलीनुमा दलाई लामा तिब्बतियों पर थोप सकें।
ALSO READ: अमेरिकी सीनेटर ने की भारत की सराहना, कहा- चीन के सामने डटकर खड़े रहने पर गर्व है
करीब ढाई दशक पहले पंछेन लामा को भी उसने इसी नीयत से अगवा किया था। पंछेन लामा को तिब्बतियों का दूसरा बड़ा धर्मगुरु माना जाता है। 1989 में जब 10वें पंछेन लामा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी, तब भी यह माना गया था कि चीन सरकार ने उन्हें जहर देकर मरवाया है।
 
उसके बाद 1995 में दलाई लामा ने 6 साल के गेझुन चोएक्यी न्यीमा की पंछेन लामा को 11वें अवतार के रूप में पहचाने जाने की घोषणा की थी। वे तिब्बत के नाक्शु शहर के एक डॉक्टर और नर्स के पुत्र हैं। 17 मई 1995 को चीन ने उन्हें अपने कब्जे में लिया था और तब से ही उन्हें लोगों की नजरों से दूर रखा गया है।
 
जाहिर है कि चीनी हुक्मरान अब भी तिब्बतियों के प्रथम पुरुष दलाई लामा को लेकर परेशान रहते हैं इसलिए भारत चाहे तो उनके जरिए वह चीन को चिढ़ा सकता है। इस सिलसिले में हाल ही में जो 2 सुझाव आए हैं, वे बेहद महत्वपूर्ण हैं और भारत सरकार चाहे तो उन पर आसानी से अमल कर सकती है। एक सुझाव हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से भारतीय जनता पार्टी के सांसद किशन कपूर का है। उन्होंने दलाई लामा को 'भारतरत्न' देने की मांग की है।
ALSO READ: हम किस 'सीमा' तक चीनी नाराज़गी की परवाह करना चाहते हैं?
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में ही तिब्बत की निर्वासित सरकार का मुख्यालय है और वहां कई बौद्ध मठ भी हैं। दलाई लामा को 'भारतरत्न' से सम्मानित करने व तिब्बत की आजादी का समर्थन करने का सुझाव देने वालों में समाजवादी आंदोलन से जुड़े मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री और शिक्षाविद् रमाशंकर सिंह तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार विजय क्रांति भी हैं।
 
दूसरा सुझाव पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी की ओर से आया है जिसके मुताबिक दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के सामने वाली सड़क का नाम दलाई लामा मार्ग कर देना चाहिए।
 
भारत सरकार के लिए दोनों सुझावों पर अमल करना कोई मुश्किल काम नहीं है। दिल्ली में वैसे भी कई सड़कों के नाम विदेशी हस्तियों के नाम पर हैं और भारतरत्न का सम्मान भी नेल्सन मंडेला जैसी विदेशी हस्ती को दिया जा चुका है। इसलिए अगर दलाई लामा को भारतरत्न दिया जाता है और दिल्ली में उनके नाम पर सड़क का नामकरण किया जाता है तो इसमें कोई अनोखी बात नहीं होगी बल्कि अमेरिका सहित यूरोप के कई देश भी भारत के इस कदम का स्वागत करेंगे। हां, ऐसा किया जाना चीन को जरूर नागवार गुजरेगा लेकिन वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकेगा।
 
सवाल यही है कि क्या भारत सरकार ऐसा करने की हिम्मत दिखाएगी? उम्मीद कम ही है कि भारत सरकार ऐसा करेगी, क्योंकि चीन से मिले ताजा धोखे और जख्म के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दलाई लामा को 4 दिन पहले उनके 85वें जन्मदिन पर बधाई और शुभकामना देने तक की औपचारिकता नहीं निभाई है।
 
(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सर्दियों में रूखी त्वचा को कहें गुडबाय, घर पर इस तरह करें प्राकृतिक स्किनकेयर रूटीन को फॉलो

इस DIY विटामिन C सीरम से दूर होंगे पिगमेंटेशन और धब्बे, जानें बनाने का आसान तरीका

फटाफट वजन घटाने के ये 5 सीक्रेट्स जान लीजिए, तेजी से करते हैं असर

Indian Diet Plan : वजन घटाने के लिए इस साप्ताहिक डाइट प्लान को फॉलो करते ही हफ्ते भर में दिखेगा फर्क

Essay on Jawaharlal Nehru : पंडित जवाहरलाल नेहरू पर 600 शब्दों में हिन्दी निबंध

सभी देखें

नवीनतम

Saree Styling : आपकी पर्सनालिटी बदल देंगे साड़ी स्टाइल करने के ये 8 खास टिप्स

Health Alert : क्या ये मीठा फल डायबिटीज में कर सकता है चमत्कार? जानिए यहां

गुरु नानक देव जी पर निबंध l Essay On Gur Nanak

प्रेरक प्रसंग : नानक देव और कुष्‍ठ रोगी

कोरोना में कारोबार बर्बाद हुआ तो केला बना सहारा

अगला लेख
More