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बदला है उत्तर प्रदेश का परसेप्शन, बदल देंगे पहचान

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गिरीश पांडेय

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बार-बार कहते हैं कि उत्तर प्रदेश पर प्रकृति एवं परमात्मा की असीम अनुकंपा रही है। गंगा, यमुना एवं सरयू जैसी सदानीरा नदियां, प्रचुर बारिश, देश का सर्वाधिक मानव संसाधन, 9 तरह की कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेटिक जोन), इंडो गंगेटिक क्षेत्र की सर्वाधिक उर्वर भूमि उत्तर प्रदेश की है। इसी पावन भूमि पर भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण की जन्म और कर्मभूमि। तीन लोकों से न्यारी और दुनिया के प्राचीनतम शहरों में शुमार शिव की नगरी काशी भी यहीं है।
 
इतना कुछ होने के बावजूद इस प्रदेश की क्या हालात बना दी गई थी, यह किसी से छिपा नहीं है। बहुत पीछे जाने की जरूरत नहीं। करीब पांच साल पहले 2017 में मुझे भाजपा नेतृत्व ने यहां के सत्ता की कमान सौंपी तब उत्तर प्रदेश एक बदनाम प्रदेश था। अराजकता, अपराध, भ्रष्टाचार, कुशासन, आए दिन होने वाले दंगे उत्तर प्रदेश की पहचान हुआ करते थे। जातीय राजनीति चरम पर थी। येन-केन प्रकारेण सत्ता में बने रहने के लिए राष्ट्रीय हितों की चिंता किए बगैर तुष्टिकरण की राजनीति ही कुछ लोगों के लिए सब कुछ थी।
 
इन विषम हालातों में जब अगुवाई का मौका मिला तो राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील देश के सबसे बड़े सूबे का खजाना खाली था। कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं थी। पर, मैंने चुनौतियों को अवसर में बदलने की ठान ली थी। नेक नीयत और पक्के इरादे से टीम वर्क के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में प्राथमिकता बनाकर का शुरू किया। नतीजे आपके सामने हैं।
 
उत्तर प्रदेश के प्रति देश-दुनिया का नजरिया (परसेप्शन) बदल गया। पहले कार्यकाल में प्रदेश की जनता का जीवन स्तर बेहतर करने के लिए बिजली, पानी, मकान, राशन, शिक्षा, स्वास्थ्य, किसानों की कर्ज माफी, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमसपी) पर अधिकतम गेंहू-धान की खरीद, गन्ने के बकाए का भुगतान, एक्सप्रेसवे सहित सड़कों का संजाल और एयर कनेक्टिविटी पर जोर था। इससे परसेप्शन बदला। दूसरे कार्यकाल में पहचान बदलने की बारी है।
 
पहचान बदलने के इस काम में पहले कार्यकाल के दौरान जारी लोककल्याण के कार्य उसी जोश, जज्बे और जुनून के साथ जारी रहेंगे। साथ ही भाजपा के लोक कल्याण संकल्प पत्र-2022 के अनुसार इस बार भी इस बार सबकी बेहतरी के लिए प्रदेश को हर क्षेत्र में बुलंदी पर ले जाने को प्रतिबद्ध हूं।
 
इस क्रम में जो बड़े काम जारी हैं उनको पूरा कर और जो पाइप लाइन में हैं उनको धरातल पर उतारकर उत्तर प्रदेश को देश की नंबर एक अर्थव्यवस्था बनाएंगे। यह एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर एक मजबूत कदम होगा। इसके लिए लखनऊ में जीबीसी-3 का आयोजन हो चुका है। 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश लक्ष्य के साथ ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी है।
 
नोएडा में 10000 करोड़ की लागत से विश्व की सबसे बड़ी ग्रैंड फिल्म सिटी, डेटा पार्क, अयोध्या और जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट, 6 हेल्थ पार्क, मेगा लेदर पार्क (कानपुर), एमएसएमई के छह औद्योगिक पार्क, गंगा एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, बलिया लिंक एक्सप्रेसवे, लखनऊ-कानपुर एलिवेटेड एक्सप्रेसवे, प्रदेश के प्रमुख शहरों में सुखद और सुरक्षित यात्रा के लिए वाराणसी, मेरठ, बरेली, झांसी और प्रयागराज में मेट्रो का विस्तार, सभी एक्सप्रेसवे के किनारे सघन औद्योगिक क्लस्टर, एक जिला-एक मेडिकल कॉलेज योजना के तहत शेष रह गए जनपदों में मेडिकल कॉलेज की स्थापना, ग्रेटर नोएडा में उत्तर भारत का सबसे बड़ा डेटा पार्क, बुंदेलखंड में जनरल बिपिन रावत डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, मेट्रो रेल और रैपिड रेल विस्तार जैसे बहुआयामी परियोजनाओं से उत्तर प्रदेश के विकास को और रफ्तार देने की तैयारी है। अगले 5 वर्षों में प्रदेश में 10 लाख करोड़ रुपए का निवेश एवं इज ऑफ डूइंग बिजनेस में प्रदेश को नंबर वन बनता देखना सुखद होगा। विकास के यह नए मानक प्रदेश को नई पहचान दिलाने वाले होंगे। (यह लेखक के अपने विचार हैं। वेबदुनिया का इससे सहमत होना जरूरी नहीं है)
 

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