Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

#MeToo अब चीत्कार नहीं ललकार उठी है...

हमें फॉलो करें #MeToo अब चीत्कार नहीं ललकार उठी है...
webdunia

स्मृति आदित्य

#MeToo मीटू तूफान के निरंतर बढ़ने से कई लोगों की जान सांसत में है। जिस तरह से बच्चियों से लेकर प्रौढ़ाओं तक से दुर्व्यवहार के किस्से आम हो रहे थे ऐसे में यह हवा सुखद संकेत है। दुष्कृत्य के केस में गरीब बस्तियों के नशाखोर अपराधिक वृत्ति के युवक-किशोर जेल में जमा हो रहे थे, फिर बारी आई बाबाओं की .. हर तरफ हर धर्म के बाबाओं-गुरुओं के किस्से चटखारे लेकर सुने और देखे गए.... लेकिन इन सबके बीच जो तथाकथित संभ्रांत और कुलीन कहे जाने वाला वर्ग था अपनी (कु)संस्कृति पर मुस्कुरा रहा था ... अचानक जैसे किसी ने उनके पैरों के नीचे से कालीन खींच लिया... सब डगमगाते-लड़खड़ाते नजर आ रहे हैं...। 
 
यह आवाज जरूरी है बहुत जरूरी.... बड़ी-बड़ी जगहों से होकर यह प्रवृत्ति, विकृति और मानसिकता छोटी जगह तक पैर फैलाने लगी थी.. अचानक एक जोर का झटका लगा है कि जब ये बड़े-बड़े सूरमा नहीं बच सके तो हमारी क्या बिसात... इस पूरे अभियान से और कोई फर्क पड़े न पड़े पर अब कोई चालाक, चतुर, और धूर्त झांसा नहीं दे सकेगा... लार नहीं टपका सकेगा.. क्योंकि अब लड़कियां शिकार नहीं होंगी चौकस हो जाएगी... उनको छोड़ दीजिए जो खुद को परोसने के लिए उतावली हुई जा रही है पर उन सही लड़कियों के बचने की संभावना अब ज्यादा है जो इन घटिया लोगों का अनजाने में शिकार हो रही थीं...। आवाज की बुलंदी इसलिए भी सराहनीय है क्योंकि हम जो मध्यमवर्गीय हैं उन्हें अक्सर ऐसा लगता है कि जो चमक-दमक की दुनिया से हैं वहां सब स्वीकार्य है, वहां सब मान्य है ... लेकिन ऐसा नहीं है... अपने वजूद को लेकर एक स्त्री चाहे वह गरीब बस्तियों की हो या आलीशान बंगलों की ..चाहे वह सामान्य वर्ग की हो या अभिजात्य वर्ग की... उतनी ही संवेदनशील है जितनी कि उसे ब्रह्मा ने बनाया है... जो स्वयं प्रस्तुत होने के लिए तैयार बैठी हैं उससे मुखातिब हम नहीं है ना ही उन्हें हम मीटू अभियान का हिस्सा मानते हैं। 
 
साहस की यह प्रचंड आंधी कई बड़े पेड़ों को उखाड़ फेंकेंगी बशर्ते सही दिशा में बयार बहती रहे.... इसमें वे धूलधूसरित इरादे शामिल न हो जो बदले की भावना से प्रेरित है। बहुत दिनों के बाद शक्ति ललकार उठी हैं अब चीत्कार के लिए कोई जगह नहीं अब यलगार होना ही चाहिए...        

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मां दुर्गा की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी ने की थी कठिन तपस्या, पढ़ें अनूठी कथा