Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

बच्‍चों का बचपन सुरक्षित करेगा ‘इंडिया चाइल्‍ड प्रोटेक्‍शन फोरम’, कैलाश सत्‍यार्थी ने किया फोरम का शुभारंभ

हमें फॉलो करें बच्‍चों का बचपन सुरक्षित करेगा ‘इंडिया चाइल्‍ड प्रोटेक्‍शन फोरम’, कैलाश सत्‍यार्थी ने किया फोरम का शुभारंभ
webdunia

रोहित श्रीवास्तव

नई दिल्ली, दिल्ली में जुटे देशभर के सिविल सोसायटी संगठनों ने कोरोना काल में बच्चों की बढ़ती ट्रैफिकिंग और यौन शोषण पर चिंता जाहिर की है।

उन्‍होंने बच्चों के बचपन को सुरक्षित बनाने के लिए एक अनूठी पहल करते हुए इंडिया फॉर चाइल्‍ड प्रोटेक्‍शन फोरम (आईसीपीएफ) का गठन किया है।

फोरम भारत में बाल संरक्षण तंत्र को मजबूत करने और बाल अधिकारों को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए काम करेगा। फोरम का उद्घाटन नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्मानित कैलाश सत्‍यार्थी ने किया।

आईसीपीएफ के गठन के साथ ही प्रयास के संस्‍थापक और पूर्व आईपीएस अधिकारी आमोद कंठ को सर्वसम्मति से इसका राष्‍ट्रीय संयोजक बनाने की घोषणा की गई।

कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन ने बच्‍चों की ट्रैफिकिंग और बाल यौन शोषण की रोकथाम के लिए दिल्ली के कांस्टिट्यूशन क्‍लब में चार दिवसीय राष्‍ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया। जिसमें बच्चों के मुद्दे पर प्रभावी हस्तक्षेप करने वाले प्रयास, शक्ति वाहिनी, बचपन बचाओ आंदोलन और प्रज्जवला जैसे देशभर के 70 से ज्यादा सिविल सोसायटी संगठनों ने हिस्‍सा लिया।

परिसंवाद में विचार-मंथन के बाद सामूहिक रूप से यह निर्णय लिया गया कि कोरोना महामारी के बाद हालात जिस तेजी से बदले हैं उसमें सारे संस्‍थानों को अपने मतभेदों को भुलाकर बच्चों का जीवन संवारने के साझा सपनों की लड़ाई लड़नी होगी।

जिसका नतीजा इंडिया चाइल्‍ड प्रोटेक्‍शन फोरम के रूप में सामने आया। इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फोरम राष्ट्रीय गठबंधन है, जिसमें बच्चों के मुद्दे पर काम करने वाले समान विचारधारा वाले सिविल सोसायटी संगठन शामिल हैं।

यह भारत में बाल संरक्षण तंत्र को मजबूत करने और बाल अधिकारों को प्रभावी रूप से लागू करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।

फोरम के गठन को एक अच्‍छी और सकारात्मक पहल बताते हुए कैलाश सत्‍यार्थी ने कहा, ‘‘इंडिया चाइल्‍ड प्रोटेक्‍शन फोरम एक बड़े संकल्‍प, बड़ी प्रतिज्ञा की शुरुआत है। फोरम का गठन साझा संकल्‍प, सपनों और विचारों को पूरा करने के उद्देश्‍य से बनाया गया है। यह विभिन्‍न सिविल सोसायटी संगठनों का एक ऐसा गठबंधन है जो बाल शोषण और बाल दासता को खत्‍म करने का काम करेगा।

फोरम बच्‍चों के प्रति सामाजिक सोच एवं नीतियों को बदलेगा और सामाजिक चेतना का विस्‍तार करेगा। फोरम के माध्‍यम से हम ऐसे भारत का निर्माण करने की कोशिश करेंगे जहां किसी भी बच्‍चे का किसी भी तरह का शोषण नहीं होगा।’’

श्री सत्‍यार्थी ने बच्चों के प्रति करुणा के विस्तार पर जोर दिया और इसे समस्या के समाधान के रूप में रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘दुनिया में जितने भी इतिहासों की रचना हुई है, बदलाव के जितने पन्‍ने लिखे गए हैं, उनको साधारण लोगों ने ही लिखे हैं। विशेषता इसमें नहीं है कि आपके पास कितने पैसे हैं, कितने बड़े पद हैं, आपका कितना नाम है, विशेषता आपकी इस बात में है कि आपके भीतर इसके लिए कितनी गहरी करुणा है।’’

कोविड-19 महामारी के बाद बच्‍चों पर संकट बढ़ा है और उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ी है। ऐसे में विभिन्‍न सिविल सोसायटी संगठन एकजुट होकर ही बच्‍चों को हरेक तरह के शोषण से बचाने की यह पहल महत्वपूर्ण है।

इंडिया चाइल्ड प्रोट्क्शन फोरम के कार्यों और उद्देश्‍यों पर प्रकाश डालते हुए फोरम के राष्‍ट्रीय संयोजक आमोद कंठ ने कहा, ‘‘फोरम उन बच्‍चों को सुरक्षा प्रदान करने का काम करेगा जो पारिवारिक सुरक्षा से वंचित हैं।

ऐसे बच्‍चों की संख्‍या देश में तीन करोड़ से अधिक है। सामाजिक, आर्थिक विषमताओं के कारण जो बच्‍चे स्‍कूल नहीं जा पा रहे हैं हम उनको स्‍कूलों में दाखिला दिलाने का प्रयास करेंगे। बच्‍चों के अधिकारों की पूर्ति, उनकी जरूरतों की पूर्ति ही उनके प्रति न्‍याय है।

इस न्‍याय को लेकर हम सभी बच्‍चों तक पहुंचेंगे। फोरम बच्‍चों को एक मजबूत सुरक्षा कवच देने के लिए एक बड़े एक्‍शन प्‍लान की शुरुआत है। इसका प्रभाव दूरगामी होगा। सरकारी योजनाओं, नीतियों, कानूनों को लेकर सिविल सोसायटी संगठनों के प्रयास से हम असुरक्षित बच्‍चों तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। ऐसे बच्‍चों की पहचान करना और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना हमारा लक्ष्‍य है।’’

राष्ट्रीय परिसंवाद का मकसद बच्चों के यौन य़ौन शोषण और ट्रैफिकिंग की रोकथाम और नियंत्रण के साथ-साथ पीड़ितों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए जिम्मेदार विभिन्न संगठनों, संस्थानों और एजेंसियों को एक साथ लाना है।

राष्‍ट्रीय परिसंवाद भारत में बच्चों की ट्रैफिकिंग और यौन शोषण को जमीनी स्‍तर पर कैसे रोका जाए, ट्रैफिकिंग के नए उभरते रूपों और उसको खत्‍म करने में सिविल सोसायटियों की क्‍या भूमिका हो, उसके इर्द-गिर्द घूमती रही।

परिसंवाद में कानून निर्माताओं, सिविल सोसायटी संगठनों, एजेंसियों के प्रमुखों और बाल अधिकार विशेषज्ञों ने भी हिस्‍सा लिया। वक्ताओं ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए और ट्रैफिकिंग इन पर्संन्स (प्रीवेंशन, केयर एंड रीहैबिलिटेशन) बिल, 2021 को तत्‍काल पारित करने की मांग भी की।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

दुनिया की वे 15 हस्तियां जो बन गईं 'हिन्दू', क्या हैं हिन्दू धर्म अपनाने के नियम या प्रक्रिया?