भारतीय सेना की शौर्य गाथाएं इतनी ज्यादा हैं कि उनके लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। उसने जहां एक ओर अपने पराक्रम का लोहा मनवाया है, वहीं दूसरी ओर संकट में फंसे लोगों को बचाया भी है। इस प्रकार उसने विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं का बखूबी निर्वाह किया है।
स्वतंत्रता के बाद सेना का भारतीयकरण हुआ। स्वतंत्र भारत की सीमाओं की रक्षा के प्रति उनका समर्पण विधिवत सुनिश्चित हुआ। अपनी प्रत्येक जिम्मेदारियों का निर्वाह उसने जान की बाजी लगाकर किया है। भारतीय सेना का इतिहास बहुत गौरवशाली है। देश की रक्षा में हर पल लगी रहने वाली भारतीय सेना इस बार अपने पराक्रम के 70 साल पूरे करेगी। इस बार 15 जनवरी 2018 को सेना अपना 70वां सेना दिवस मनाएगी। यह हर वर्ष 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है।
15 जनवरी 1949 को पहली बारके. एम. करियप्पा को देश का पहला लेफ्टीनेंट जर्नल घोषित किया गया। इसके पहले ब्रिटिश मूल के फ्रांसिस बूचर इस पद पर थे। 15 जनवरी 1949 के बाद से ब्रिटिश इंडियन आर्मी से ब्रिटिश शब्द हमेशा के लिए हट गया था और उसे इंडियन आर्मी कहा जाने लगा था। फील्ड मार्शल केएम करियप्पा आजाद भारत के पहले आर्मी चीफ बने थे। तब से लेकर आज तक हर वर्ष 15 जनवरी को सेना दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी, जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी और भारतीय राज्यों की सेना से हुआ, जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा है,इसने दुनियाभर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है, तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किए।
सेना ने अपने पराक्रम से दुश्मनों को लोहे के चने चबवाए हैं। प्रथम कश्मीर युद्ध 1947 में हुआ। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र शान्ति सेना में योगदान भी किया। 1948 में हैदराबाद का विलय किया गया। गोवा दमन और दीव का विलय 1961 में सेना द्वारा किया गया। भारत-चीन युद्ध 1962 में लड़ा गया। दूसरा कश्मीर का युद्ध 1965 में लड़ा गया।
1999 में कारगिल का संघर्ष हुआ। इन सभी युद्धों में हमारी सेना ने अपनी बहादुरी के परचम गाड़े हैं। सेना ने बहुत सारी नई तकनीक के जरिए काफी बुलंदियों को छुआ है। भारतीय सैनिकों के शौर्य, साहस, पराक्रम एवं बलिदान की गाथाएं सदियों से गाई जाती रही हैं। वे गाथाएं इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं। शौर्य व साहस के अतिरिक्त भारतीय सेना सैन्य धर्म एवं चरित्रगत आचरण के लिए भी जानी जाती है। सेना का अनुशासन सबको अपने जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता होती है।
लोकसभा के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 2 साल में दुश्मनों से लड़ते हुए भारतीय सेना के 150 जवान शहीद हुए और वर्ष 2015 में 85 सैनिक शहीद हुए। लगातार सैनिक शहीद भी होते जा रहे हैं। इस ओर भी सरकार का ध्यान होना चाहिए। कोई उचित उपाय भी करना चाहिए, जिससे हमारे सैनिकों की शहादत ना हो। बार-बार दुश्मन देश की नापाक हरकत को ठीक करने के लिए सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक करके इनको ठीक से जवाब दिया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देते हुए 7 आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया था। साथ ही 38 आतंकियों को भी मार गिराया। इस प्रकार की स्ट्राइक की पहले से ही संभावना जताई जा रही थी।
सीमा पर पाकिस्तान लगातार सीज फायर का उल्लंघन कर रहा है। इस साल 20 बार घुसपैठ की गई है, लेकिन हमारी सेना ने उनकी कोशिशों को नाकाम साबित कर दिया है। भारत ने नियंत्रण रेखा के पार स्थित आतंकी शिविरों पर सर्जिकल हमले किए, जिनमें आतंकवादियों को भारी नुकसान पहुंचा है और अनेक आतंकवादी मारे गए। इसके बाद दोबारा 23 दिसंबर 2017 में जम्मू-कश्मीर के राजौरी क्षेत्र में पाकिस्तान की तरफ से फायरिंग की गई, जिसमें एक मेजर समेत चार भारतीय जवान शहीद हुए। अपने साथियों की शहादत का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने पाकिस्तान को तुरंत मुंहतोड़ जवाब देने की योजना बनाई।
नियंत्रण रेखा पार करके 6 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक मार गिराए। तीन सैनिकों के मारे जाने की बात खुद पाकिस्तान भी कबूल कर चुका है। उत्तरी कोर के जांबाजों ने 48 घंटे में अपने साथियों का बदला ले लिया था। भारतीय सेना का उत्साह लगातार बढ़ता है। सेना के इतिहास की गौरव गाथा हमेशा सुनहरे अक्षरों में देखने को मिलती रहेगी। एक जारी आंकड़े में बताया कि अगर सेना में भर्ती होने की उम्र वाले युवाओं की संख्या की बात की जाए, तो चीन के पास ऐसे करीब 1 करोड़ 95 लाख युवा हैं, जबकि भारत के पास 2 करोड़ 30 लाख है। यह हमारे लिए गौरव का विषय है।
भारतीय सेना ने आजादी के ठीक बाद ही 1948 में पाकिस्तान से युद्ध लड़ा था। इसके बाद 1965, 1971, सियाचिन और फिर कारगिल में पाकिस्तान को जंग के मैदान में धूल चटाई थी। इसके बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता। आतंकवाद को शह देने की बात हो या फिर चोरी-छुपे परमाणु हथियार जुटने की रणनीति। पाकिस्तान अब भी हमारे लिए खतरा है, लेकिन आज भारतीय सेना की ताकत ऐसी है कि वो किसी वक्त पाकिस्तान को मुंहतोड़ जबाव दे सकता है।
भारतीय सेना की तैयारी ऐसी है कि दुश्मन को संभलने का मौका भी नहीं देंगे। सेना के जवान हजारों फुट की ऊंचाई पर अपनी हड्डियां गलाते हैं और दुश्मन की हर हरकत पर पैनी निगाह रखते हैं, तब जाकर हम अपने अपने शहरों, गांवों और घरों में सुरक्षित रह पाते हैं। इनकी शहादत को हर भारतीय नागरिक को याद रखने की जरूरत है। देश को आगे बढ़ाने में सैनिकों का बहुत बड़ा सहयोग होता है।
आपदा राहत में भी भारतीय सेना का जवाब नहीं। इस रूप में उसकी प्रतिष्ठा पूरे विश्व में है। जब सिविल प्रशासन किसी समस्या के मुकाबले से अपने हाथ खड़े कर देती है, तब सेना के जवान ही मोर्चा संभालते हैं। आपदा में फंसे लोगों में भी सैनिकों को देखकर आत्मविश्वास आ जाता है। आमजन का यह भावनात्मक विश्वास दुर्लभ होता है। यह सबको नसीब नहीं होता, लेकिन हमारे सैनिकों ने कर्तव्य पालन से अपने को इसका हकदार बनाया है।