2022 भारत के शीर्ष का आधार हो सकता है

अवधेश कुमार
ईसा संवत् 2022 से हम क्या अपेक्षा करें? किसी भी वर्ष से अपेक्षाओं का अर्थ उसमें सत्ता, राजनीति, प्रशासन, अलग-अलग क्षेत्रों के नीति-निर्धारणकों, समाज पर प्रभाव रखने वालों तथा आम लोगों से अपेक्षाएं ही हैं।

हम इन सारे वर्गों से क्या अपेक्षा करते हैं यह मूलतः हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। वर्ष 2022 की शुरुआत भी कोरोना के ओमि‍क्रोन वैरिएंट के डर के साये में हो रहा है। इसलिए बड़े समूह की आम अपेक्षा यही है कि लोगों की सुरक्षा इस तरह सुनिश्चित हो कि वे अपना जीवनयापन या जीवन की संपूर्ण गतिविधियों का ठीक तरीके से संचालन करते रहें।

इस संदर्भ में दूसरी अपेक्षा स्वास्थ्य महकमे से है। यानी अगर कोई कोरोना की भयानक गिरफ्त में आया तो उसके उपचार की सहज, सुलभ, सक्षम व्यवस्था उपलब्ध हो। यानी हाहाकार की नौबत नहीं आए। सामान्य तौर पर तीसरी अपेक्षा यही है किपिछले 2 वर्षों में अर्थव्यवस्था को जो नुकसान पहुंचा उसकी क्षतिपूर्ति करने के साथ भारत अपनी संभावनाओं के अनुरूप विकास पर सरपट दौड़े और लोगों के समक्ष जो कठिनाइयां उत्पन्न हुई उसकी पुनरावृत्ति न हो। इसी तरह की अपेक्षायें राष्ट्रीय स्तर पर एवं प्रदेशों तथा क्षेत्रों में लोगों की अलग-अलग होंगी।

कुल मिलाकर हर व्यक्ति की अपेक्षा होती है की उसका परिवार, समाज एवं देश सुख शांति का जीवन जिए।
संवत कोई भी हो वर्ष की शुरुआत में प्रत्येक विवेकशील व्यक्ति यही प्रार्थना करता है। हां, भारत में ऐसे लोग भी बड़ी संख्या में हैं जिनके लिए दुर्भाग्य से राजनीति सर्वाधिक महत्वपूर्ण और येन केन प्रकारेण अपने विरोधी के चुनाव में परास्त होने और लोकप्रिय होने या फिर उसके राजनीतिक अवसान की कामना करते हुए उसके लिए कोशिश भी करते हैं।

आप चाहे किसी भी विचारधारा के हों, मानना पड़ेगा कि हमारे देश में ऐसे लोगों का बड़ा समूह है, जो हर सूरत में हर क्षण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा, संघ आदि की पराजय और अवसान के लिए किसी सीमा तक जाने को तैयार हैं। राजनीति में रुचि रखते हुए भी अपेक्षा यही होनी चाहिए कि इस तरह के अतिवाद में रहने वालों को सद्बुद्धि आए और वे एक विचारधारा और राजनीति की लड़ाई को लोकतांत्रिक लड़ाई तक सीमित रखते रखें और वही तक लड़े।

जैसा हम जानते हैं 2022 तो छोड़िए जब तक भाजपा है यह स्वाभाविक राजनीतिक स्थिति नहीं उत्पन्न होने वाली। इस वर्ष ऐसे राज्यों के चुनाव है, जहां भाजपा सत्ता में है इसलिए आपको यह परिदृश्य ज्यादा आक्रामक और असुंदर रूप में दिखेगा। आम अपेक्षाएं हैं कि राजनीति की लड़ाई राजनीतिक तक सीमित रहे लेकिन भारत में जो परिस्थितियां उत्पन्न हो गई है उसमें तत्काल संभव नहीं है।

इससे पूरे समाज और विश्व में नकारात्मक वातावरण बनता है जिसमें हमें जीने का अभ्यास रखना ही पड़ेगा। लेकिन हर दृष्टि से राष्ट्र, विश्व और मनुष्यता का कल्याण चाहने वाले लोग निश्चित रूप से अपने- अपने स्तर पर इसकी कामना और कोशिश करेंगे कि इस प्रकार के वातावरण को कमजोर किया जाए। तो 2022 में ऐसे लोगों से अपेक्षा होगी कि इसके समानांतर वह भारतीय राजनीति के साथ गैर राजनीतिक वैचारिक मोर्चों पर भी सकारात्मकता, स्नेह और संवेदनशीलता के माहौल के लिए हर संभव कोशिश करें। इसमें ऐसे लोगों के खिलाफ जिनके अपने नकारात्मक एजेंडा है अगर प्रखरता से वैचारिक हमला भी करना हो तो इससे देश को लाभ ही होगा।ऐसे लोगों से 2022 में हम आप क्या अपेक्षा करेंगे यह बताने की आवश्यकता नहीं है।

यह बिंदु इसलिए महत्वपूर्ण है ,क्योंकि इस तरह के राजनीतिक संघर्षों से संपूर्ण देश की बहुआयामी उन्नति दुष्प्रभावित होती है। किसी व्यक्ति समाज और देश की सफलता के लिए सबसे पहली शर्त सामूहिक मनोदशा यानी माहौल का है। व्यक्ति के अंदर अगर आत्मविश्वास है, सकारात्मकता है, आशा और उम्मीद है तो वह बड़े से बड़े लक्ष्य को पा सकता है। यही बातें देश पर भी लागू होती है। सामान्य राजनीति और और ऊपर वर्णित सामान्य अपेक्षाओं से थोड़ा अलग हटकर सूक्ष्मता से भारत की स्थिति का विश्लेषण करें तो आपको ऐसी धारा सही आवेग और दिशा में बढ़ती हुई दिखाई पड़ेगी जो वाकई देश की प्रकृति, आत्मा और संस्कार के अनुरूप है।

किसी भी देश की वास्तविक उन्नति तभी संभव है जब वह अपनी मूल प्रकृति, संस्कार और संस्कृति के साथ आगे बढ़े। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि जो कुछ हमारी प्रकृति और हमारा स्वभाव नहीं है उसके अनुरूप हमें बदलने की कोशिश की जाएगी तो हम वह तो नहीं ही बनेंगे जो कुछ हम हैं वह भी पीछे छूट जाएगा। दुर्भाग्य से भारत के साथ यही हुआ। अलग-अलग खंडों की भिन्न- भिन्न किस्म की दासत्व में भारत की आत्मा, प्रकृति,संस्कृति धुमिल होती लगभग अस्ताचल में चली गई। इतिहास के कालखंड में अनेक ऐसे अध्याय हैं जब भारत एक राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान, अपनी संस्कृति और प्रकृति के अनुरूप प्रखरता से खड़ा होने के लिए उठने की कोशिश किया लेकिन बार-बार धराशाई भी हुआ या जाने अनजाने किया गया।

गांधी जी ने अपने संपूर्ण जीवन में लगातार इसकी ओर ध्यान दिलाने की कोशिश की। केवल गांधी जी ही नहीं, सभी मनीषियों ने इसे एक महान राष्ट्र के रूप में फिर से खड़ा करने की कल्पना की जो संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरक और आदर्श बने।

तो इसका आधार क्या हो सकता है? इन सबने कहा है कि धर्म अध्यात्म सभ्यता संस्कृति यही वह आधार है जिस पर भारत दुनिया  का शीर्ष देश बन सकता है और इसी कारण संपूर्ण विश्व इसे अपने लिए आदर्श और प्रेरक मानेगा। इतना ही नहीं इन सब ने कहा है कि इसी में विश्व और संपूर्ण प्रकृति का कल्याण है। दुर्भाग्य से यह मूल सोच लगभग विलुप्त हो गई थी। अगर आप गहराई से देखें तो पिछले कुछ वर्षों में यह भाव अलग-अलग रूपों में प्रकट हुआ है।

सत्ता ने किसी न किसी तरीके से देश के अंदर और बाहर विश्व मंच पर भी इसे घोषित करने का साहस दिखाया है। वाराणसी में काशी विश्वनाथ सहित हुए पुनरुद्धार के बारे में आपकी जो भी राय हो लेकिन यह लोगों के अंदर आत्मगौरव बोध का कारण बना है।

2021 में उत्तर प्रदेश के विंध्याचल में विंध्य कॉरिडोर का भूमि पूजन हो या काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का शिलान्यास, वहां से निकलती ध्वनियां या इसके पहले 2020 में अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन इन सबकी विकृत तस्वीर हमारे यहां पेश की जाती है।

जब आप सत्ता राजनीति के आईने से देखेंगे तो इसके नकारात्मक पहलू दिखेंगे, क्योंकि भय यह होगा कि जो पार्टी कर रही है उसे व्यापक समाज का वोट मिल जाएगा। भारत राष्ट्र के अतीत, वर्तमान और भविष्य की दृष्टि से मूल्यांकन करें तो निष्कर्ष यही आएगा कि यही भारत है, यही अंतः शक्ति है जिसके आधार पर भारत की पुनर्रचना इसे उस शिखर पर ले जाएगी जहां इसे होना चाहिए।

कोरोना और उसके व्यापक दुष्प्रभावों के बावजूद अगर ये सारे कार्य देश में संपन्न हो रहे हैं तो मान कर चलना चाहिए कि भारत अपनी संस्कृति और  प्रकृति को पहचान कर उसके अनुरूप प्रखरता से पूर्व दिशा में गतिशील होना आरंभ कर दिया है। यह सब केवल विश्वास और धारणा के विषय नहीं है। इनके आधार पर भारत सर्वांगीण विकास करेगा।

यही वह पुंज है जो भारत को नैतिक, आदर्श, संपूर्ण मानव समुदाय के प्रति संवेदनशील एवं एक दूसरे के लिए त्याग का व्यवहार पैदा करेगा।  यह स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं है कि पिछले 3 वर्षो के अंदर भारत ने स्वयं को पहचान कर जिस तरीके से खड़ा होने की कोशिश की है 2022 में वह सशक्त होगी।

महात्मा गांधी, महर्षि अरविंद, स्वामी विवेकानंद ,पंडित मदन मोहन मालवीय यहां तक कि सुभाष चंद्र बोस, डॉ राजेंद्र प्रसाद, अगर दूसरी विचारधारा में जाएं तो डॉक्टर राम मनोहर लोहिया, जनसंघ के पंडित दीनदयाल उपाध्याय, आरएसएस के संस्थापक आदि सबने यही कहा कि अध्यात्म वह ताकत है जिसकी बदौलत भारत विश्व का शीर्ष देश बनेगा और फिर संपूर्ण विश्व जो अनावश्यक संघर्ष तनाव, दमन, शोषण में उलझा हुआ है उसकी मुक्ति का रास्ता दिखाएगा।

इसी में उसकी आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक प्रगति भी शामिल है। तो  2022 से हमारी अपेक्षा यही होगी कि यह धारा इतनी सशक्त हो कि फिर किसी भी प्रकार का झंझावात इसके कमजोर होने या धराशाई होने का कारण नहीं बने।

यह अपेक्षा मूर्त राष्ट्र की अवधारणा से नहीं हो सकती। कोई भी देश अपने लोगों के व्यवहार से ही लक्ष्य को प्राप्त करता है। इसलिए केवल राजनीति और धर्म ही नहीं हर क्षेत्र के लोगों वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, इतिहासकार, समाजसेवी, पुलिस, सेना, सरकारी कर्मचारी सभी इस लक्ष्य को समझकर प्राणपण से 2022 में जुटें और इस धारा को सशक्त करें। यह भारत की वास्तविक मुक्ति, प्रगति और चीरजीविता का आधार बनेगा

(आलेख में व्‍यक्‍त विचार लेखक के निजी अनुभव हैं, वेबदुनिया का इससे कोई संबंध नहीं है।)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

क्या है microblading treatment? जानिए कैसे बदल देती है ये आपके चेहरे का लुक

ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं तो हो जाइए सावधान, कहीं हो ना जाएं किसी स्कैम के शिकार

पानी में मिलाकर पिएं ये 10 रुपए वाली चीज, सेहत को मिलेंगे 6 गजब के फायदे

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल तेल, बस जान लें इस्तेमाल करने का सही तरीका

इन 6 बीमारियों के लिए चमत्कार से कम नहीं आम का पत्ता! जानें कैसे करें इस्तेमाल

सभी देखें

नवीनतम

क्या आपको भी पसंद है चाय के साथ नमकीन खाना? सेहत को हो सकते हैं ये 5 नुकसान

Chiffon Saree StylingTips : शिफॉन साड़ी में खूबसूरत दिखने के टिप्‍स

ऑफिस के लिए 5 best corporate outfit ideas, जानिए किन आउटफिट्स से मिलेगा परफेक्ट प्रोफेशनल लुक

खाने के बाद चबाएं एक पान का पत्ता, सेहत को मिलेंगे ये 7 गजब के फायदे

अपने नाखूनों की देखभाल करने के लिए, अपनाएं ये बेहतरीन Nail Care Tips

अगला लेख
More