गाय संसार में प्राय: सर्वत्र पाई जाती है। एक अनुमान के अनुसार विश्व में कुल गायों की संख्या 13 खरब है। गाय से उत्तम प्रकार का दूध प्राप्त होता है, जो मां के दूध के समान ही माना जाता है। जिन बच्चों को किसी कारण वश उनकी माता का दूध नहीं मिलता, उन्हें गाय का दूध पिलाया जाता है। उल्लेखनीय है कि हमारे देश में गाय की 30 प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें सायवाल जाति, सिंधी, कांकरेज, मालवी, नागौरी, थरपारकर, पवांर, भगनाड़ी, दज्जल, गावलाव, हरियाना, अंगोल या नीलोर और राठ, गीर, देवनी, निमाड़ी, अमृतमहल, हल्लीकर, बरगूर, बालमबादी, वत्सप्रधान, कंगायम, कृष्णवल्ली आदि प्रजातियों की गाय सम्मिलित हैं। गाय के शरीर में सूर्य की गो-किरण शोषित करने की अद्भुत शक्ति होती है, इसलिए गाय का दूध अमृत के समान माना जाता है। गाय के दूध से बने घी-मक्खन से मानव शरीर पुष्ट बनता है। गाय का गोबर उपले बनाने के काम आता है, जो अच्छा ईंधन है। गोबर से जैविक खाद भी बनाई जाती हैअ इसके मूत्र से भी कई रोगों का उपचार किया जा रहा है। वास्तव में गाय को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ने की बजाए राजनीति से जोड़ दिया गया है, जिसके कारण इसे जबरन बहस का विषय बना दिया गया। गाय सबके लिए उपयोगी है इसलिए गाय पर बहस करने की बजाए इसके संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह सड़कों पर विचरती गायों के लिए गौशालाओं का निर्माण कराए।