Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Five years of Demonetization: पांच साल में डि‍जिटली लेन-देन में जागा ‘जनता का भरोसा’

हमें फॉलो करें Five years of Demonetization: पांच साल में डि‍जिटली लेन-देन में जागा ‘जनता का भरोसा’
webdunia

नवीन रांगियाल

देश की अर्थव्‍यवस्‍था और काले धन की स्‍थिति के बारे में तो अर्थशास्‍त्री ही बता पाएंगे, लेकिन डि‍जिटल लेन-देन को लेकर देश की जनता में भरोसा जागा है, यह तो साफ नजर आ रहा है। आज हर ठेले और दुकान पर क्‍यूआर कोड नजर आ जाएगा, यहां तक कि अब लोग डि‍जिटली 10 रुपए का भुगतान करने में भी नहीं हिचकिचाते हैं।

आठ नवंबर का दिन देश की अर्थव्यवस्था के इतिहास में दर्ज होने वाला एक बेहद ही अहम दिन था। रात 8 बजे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टीवी पर आते हैं और कहते हैं कि आज से 500 और 1000 रुपए के नोट बंद।

सरकार की इस घोषणा के बाद एक अफरा-तफरी मच जाती है, लोग बाहर निकल आते हैं, अगले दिन 9 नवंबर से बैंकों के सामने, एटीएम के सामने लंबे कतारें नजर आती हैं। जितनी लंबी कतारें नोट एक्‍सचेंज के लिए लगी अब शायद तक किसी और काम के लिए नहीं देखी गई। विदेशों में जमा काले धन और नकली मुद्रा को खत्‍म करने के लिए भारत सरकार ने यह फैसला लिया था।

इसके पीछे मकसद था पूरे देश में लेन-देन का डि‍जिटलाइजेश करना। पिछले पांच साल में उसका असर भी नजर आ रहा है। आज हर दुकान, मॉल, ठेले, चाय की दुकान, सब्‍जी की दुकान से लेकर हर जगह क्‍यूआर कोड स्‍कैनर नजर आते हैं।

यहां तक कि दि‍वाली के मौके पर हार-फूल वालों के साथ ही मिट्टी के दीपक और धानी बेचने वाले बेहद छोटे दुकानदार ने भी क्‍यूआर कोड रखकर ग्राहकों से पैसे लिए। कई लोगों की जेब से करेंसी लगभग गायब हो गई। लोग अब 10 रुपए का भुगतान डि‍जिटली करते भी नहीं हिचकिचाते हैं।

नोटबंदी के पांच साल बाद डिजिटल भुगतान में काफी बढ़ोतरी किसी क्रांति की तरह नजर आई। धन लेने और देने वाले दोनों में एक इस तरह के पैसे के चलन को लेकर एक भरोसा नजर आया।

हालांकि इसके बावजूद चलन में नोटों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक इस वृद्धि की रफ्तार धीमी है, लेकिन हो जरूर रही है। इसके पीछे कोरोना महामारी एक वजह रही। कोरोना ने आपातकालीन सेवाओं के लिए लोगों को राशन और रुपए जमा करना भी सिखाया। लोगों को लगने लगा था कि कब किसी को अस्‍पताल जाना पड जाए, इसलिए जेब में या घर में नकदी होना बेहर जरूरी है। कहा जा रहा है कि इसी कारण बैंक नोट का चलन बढ़ा भी है।

लेकिन इसकी तुलना में डि‍जिटल भुगतान बहुत ज्‍यादा देखने को मिला जो अब एक आदत सी बन गई है। हमने चाय और सिगरेट तक लिए लोगों को क्‍यूआर कोड स्‍कैन करते देखा है।

एक जमाना था जब प्‍लास्‍टि‍क मनी के बारे में सोचकर लोगों को चमत्‍कार सा लगता था। यह कैसे काम करेगी, कैसी दिखेगी इत्‍यादि। लेकिन आज डेबिट और क्रेडि‍ट कार्ड आम जरूरत बन गई है। अब उससे भी आगे निकलकर डि‍जिटल लेन-देन, नेट बैंकिंग और क्‍यूआर कोड से भुगतान के साथ ही तमाम तरह के एप्‍स ने लोगों की जिंदगी को पूरी तरह से बदल डाला है।

नोटों को हाथ से गि‍नने की जो चलन था अब वो सिर्फ बड़े भुगतानों के दौरान या बैंकों में देखने को मिलता है, जब किसी को केश की जरूरत होती है, ऐसे में अब धन के लेन-देन की यह डि‍जिटल तरीका दुनिया को और कितना आगे लेकर जाएगा, यह देखना कोई चमत्‍कार तो नहीं, हालांकि बेहद रोमांचक होगा।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Winter Skin Care Tips : बेजान त्‍वचा को कोमल और सॉफ्ट बनाएगा करेले का फेस मास्‍क