दिवाली : नेह के छोर से एक दीप हम भेजें, रिश्तों के उस छोर से आप भी सहेजें

स्मृति आदित्य
स्मृति आदित्य 
 
दीपोत्सव, दीपपर्व, दिवाली, दीपावली। नामों का क्या है, कितने ही रख लें। लेकिन भाव एक ही है। सब शुभ हो , मंगलमयी हो, कल्याणकारी हो। उमंग, उल्लास, उत्कर्ष और उजास का यह सुहाना पर्व एक साथ कितने मनोभाव रोशन कर देता है। हर मन में आशाओं के रंगबिरंगे फूल मुस्करा उठते हैं। भारतीय संस्कृति में कितना-कितना सौन्दर्य निहित है। कहाँ-कहाँ से समेटे और कितना समेटे? खूबसूरत त्योहारों की एक लंबी श्रृंखला है जो किसी रेशमी डोरी की तरह खुलती चली जाती है और मानव मन का भोलापन कि इसमें बँधता चला जाता है सम्मोहित सा। सब भूल जाता है राग, द्वेष, विषाद, संकट, कष्ट और संताप। घर में पधारे हों जब साक्षात आनंद के देवता तो भला कहाँ सुध अपने दुखों की पोटली को खोलकर बैठने की। 
 
कितनी मनोरम है हमारी भावनाएँ कि हम वेदों-पुराणों में वर्णित ज्ञान को संचित करते हुए उसे अपनी कल्पना का हल्का-सा सौम्य स्पर्श देकर अपने लिए खुद ही सौन्दर्य का संसार रच लेते हैं। खुद ही सोच लेते हैं कि पृथ्वी पर अभी गणेशजी पधारें, फिर सोचते हैं माँ दुर्गा पधारीं हैं और फिर पौराणिक और लोक-साहित्य की अँगुली थामें प्रतीक्षा करने लगते हैं महालक्ष्मी की। 
 
इनमें झूठ कुछ भी नहीं है, सब सच है अगर अंतरात्मा और दृढ़ कल्पनाशक्ति से किसी दिव्य-स्वरूपा का आह्वान करें तो ईश्वर चाहे प्रकट ना हों लेकिन एक अलौकिक अनुभूति से साक्षात्कार अवश्य करा देतें हैं। हम चाहे कितने ही नास्तिक हों लेकिन इतना तो मानते हैं ना कि कहीं कोई ऐसी 'सुप्रीम पॉवर'  है जो इस इतने बड़े सुगठित संसार को इतनी  सुव्यवस्था से संभाल रही है। बस, उसी महाशक्ति को नमन करने, उसके प्रति आभार प्रकट करने का बहाना हैं ये सुंदर, सुहाने सजीले त्योहार। ये त्योहार जो हमें बाँधते हैं उस अदृश्य दैवीय शक्ति के साथ, जो हमें जीवन का कलात्मक संदेश देते हैं। 
 
एक नन्हा सा दीप। नाजुक सी बाती। उसका शीतल सौम्य उजास। झिलमिलाती रोशनियों के बीच इस कोमल दीप का सौन्दर्य बरबस ही मन मोह लेता है। कितना सात्विक, कितना धीर। बेशुमार पटाखों के शोर में भी शांत भाव से मुस्कराता हुआ। टूट कर बिखर-बिखर जाती अनार की रोशन लड़ी के बीच भी जरा नहीं सहमता, थोड़ा सा झुकता है और फिर तैयार पूरी तत्परता से जहान को जगमगाने के लिए। यही है संदेश दीपों के स्वर्णिम पर्व का।
 
भारतीय संस्कृति के अनमोल रत्नों में से एक है दीपावली का झिलमिल पर्व। एक ऐसा पर्व, जो हर मन की क्यारी में खुशियों के दिपदिपाते फूल खिलाता है। एक ऐसा पर्व जो हर अमीर-गरीब को अवसर देता है स्वयं को अभिव्यक्त करने का । यह त्योहार ना सिर्फ सांस्कृतिक या पौराणिक रूप से बल्कि कलात्मक और सृजनात्मक रूप से भी मन की भावाभिव्यक्तियों के प्रवाहित होने का अवसर देता है। 
 
इस दीपोत्सव पर जब सबसे पहला दीप रोशन करें तो याद करें राष्ट्रलक्ष्मी को। कामना करें कि यह राष्ट्र और यहां विराजित लक्ष्मी, सदैव वैभव और सौभाग्य की अधिष्ठात्री बनी रहें। दूसरा दीप जलाएँ तो याद करें सीमा पर तैनात उन 'कुलदीपकों'  को जिनकी वजह से आज हमारे घरों में स्वतंत्रता और सुरक्षा का उजाला है। तीसरा दीप प्रज्जवलित करें इस देश की नारी अस्मिता के नाम। जो परिवर्तित युग की विकृतियों से जुझते हुए भी जीत की मशाल लिए निरंतर आगे बढ़ रही है। बिना रूके, बिना थके और बिना झुके। 
 
यह 'दिव्यलक्ष्मी'  अपने अनंत गुणों के साथ इस धरा पर ना होती तो सोचें कैसे रंगहीन होते हमारे पर्व? श्रृंगारहीन और श्रीहीन? दीपपर्व पर श्रृंगार, सौन्दर्य और सौभाग्य की घर में विराजित देवी के साथ हम सबके आँगन में दिल नहीं दिएँ  जलें। सांसारिक झिलमिलाती रोशनियों के बीच सुकोमल दीप की तरह सदा मुस्कुराएँ। और क्यों ना इस बार अपने दीपक आप बन जाएँ। 'देह'  के दीप में 'आत्मा'  की बाती को 'आशा' की तीली से रोशन करें। ताकि महक उठें खुशियों की उजास अपने ही मन आँगन में। इन पंक्तियों के साथ - मंगलकामनाएँ 
 
नेह के छोर से एक दीप हम भेजें 
रिश्तों के उस छोर से आप भी सहेजें 
झिलमिल पर्व पर खुशियाँ गुनगुनाएँ 
आशाओं का रंगीन अनार बिखर-बिखर जाए... ! 
स्नेहदीप के साथ मधुर शुभकामनाएँ !! 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Health Alert : क्या ये मीठा फल डायबिटीज में कर सकता है चमत्कार? जानिए यहां

Style Secrets : स्मार्ट फॉर्मल लुक को पूरा करने के लिए सॉक्स पहनने का ये सही तरीका जान लें, नहीं होंगे सबके सामने शर्मिंदा

लाल चींटी काटे तो ये करें, मिलेगी तुरंत राहत

बिना महंगे प्रोडक्ट्स के टैन को करें दूर, घर पर बनाएं ये नेचुरल DIY फेस पैक

सर्दियों में रूखी त्वचा को कहें गुडबाय, घर पर इस तरह करें प्राकृतिक स्किनकेयर रूटीन को फॉलो

सभी देखें

नवीनतम

Winters : रूखी त्वचा से बचना चाहते हैं तो ये आसान घरेलू उपाय तुरंत ट्राई करें

क्या शिशु को रोजाना नहलाना सही है? जानें रोज नहाने से शिशु की हेल्थ पर क्या पड़ता है असर

आंख के नीचे चींटी का काटना क्यों बन सकता है गंभीर समस्या? जानें ये जरूरी सावधानियां

प्रेग्नेंसी में जंक फूड खाना हो सकता है जोखिम भरा, जानिए हेल्दी स्नैकिंग के 7 आसान टिप्स

अगला लेख
More