मंजरी भूरी आंखों वाली, गोरी चिट्टी, चंचल और खूब बातूनी थी वो....बातों से तो दिल जीत ही लिया करती थी, जानवरों से उसका लगाव उसे चरवाही में निपुण बनाता था....अपने भाई से गोद लिया था उसकी मां और पिता ने उसे...मगर अचानक उस दिन जंगल से घोड़ों को लेने गई आसिफा वापस नहीं लौटी...खूब ढूंढा घर वालों ने भी पुलिस वालों ने भी....सिर्फ दो जगह को छोड़कर...जहां से उससे जुड़े सुराग मिल पाते....
मंदिर में ही तो रखा गया था उसे, जहां नशे की गोलियां खिलाई गई, मारा गया, मारने से पहले रेप किया गया और फिर अपनी जांघों पर उसकी गर्दन रख कर गला दबा दिया गया....पर वो ज़िंदा थी...फिर उसकी पीठ पर पैर रखे गए और पुरज़ोर तरीके से गला दबाया गया....नन्ही सी जान कितना दम भरती.. वो भी नशे में.....मंजरी आंखें बंद कर दी गईं....शब्दों को मौन कर दिया गया और चंचलता हमेशा के लिए अब स्थिर हो गई.....मकसद सिर्फ इतना था,कि उनकी बिरादरी को अपनी जगह से दूर भेजना था...
जिस समाज में हम अभी जी रहे हैं, बच्चों से रेप या शोषण की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण ज़रूर हैं लेकिन नई नही हैं...आए दिन इस तरह के मामले सुनने और देखने मे आते हैं जो बेहद निंदनीय है...
लेकिन 8 साल की आसिफा के साथ हुई रेप की ये घटना एक बार फिर झिंझोड़कर रख देती है और न केवल के सवाल उठाती है, बल्कि उस सभ्य समाज को कटघरे में खड़ा करती है जो अपने सुख, भोग, इच्छा और दंभ का शिकार किसी को भी बना लेने का दुस्साहस कर लेता है...