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अमेजन, ऐश ट्रे और स्त्री...

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स्मृति आदित्य

: स्मृति आदित्य

अमेजन, ऐश ट्रे और स्त्री.. .. इन दिनों माहौल में इन तीन शब्दों ने कड़वाहट घोल रखी है। सोच कर ही हैरान हूं कि कैसे एक स्त्री की सोच, उसकी कला, उसकी अभिव्यक्ति, उसके विचार, उसके व्यक्तित्व और अस्तित्व को निहायत ही नग्न गाली देता हुआ एक प्रोडक्ट अमेजन प्रस्तुत कर पाया होगा? 
 
अब शायद ही कोई अनजान हो इस तथ्य से अमेजन द्वारा प्रस्तुत ऐश ट्रे, छोटे टब के रूप में है जिस पर एक महिला निर्वस्त्र होकर खुलकर लेटी दिखाई गई है। ऐश ट्रे, ट्राई पोलर क्रिएटिव टेबल शॉप ऐश ट्रे। ऐश ट्रे चूंकि सभ्य घरों में नहीं होती लिहाजा प्रोडक्ट को भी उसी तरह बनाकर उन लोगों की कुत्सित मानसिकता और चेष्टाओं के अनुसार पेश किया गया है। 
 
अमेजन की यह घृणित 'रचनात्मकता' देख कर लग रहा है कि इस समाज में कला, अभिव्यक्ति, अनुभूति जैसे सुंदर शब्दों की आड़ में एक ऐसी बेशर्म मानसिकता सदियों से फल-फूल रही है, पनप रही है जिसका शिकार हर दिन, हर पल कहीं ना कहीं कोई ना कोई औरत हो रही है। बलात्कार जैसी समस्या इसी घिनौनी मानसिकता की देन है। बलात्कारी को फांसी की सजा देने की गुहार लगाना तब तक व्यर्थ है जब तक इस तरह की अश्लील सोच 
को हम खत्म नहीं कर पाते हैं। 
 
किसी उत्पाद ने यूं ही तो बाजार में दस्तक नहीं दे दी होगी। अमेजन की टीम ने इस ऐश ट्रे के बनने से पहले डिजाइन भी तैयार करवाया होगा, कलाकार भी तय किए होंगे। कीमत तय करने के लिए भी मीटिंग जैसा भी कुछ हुआ होगा..... किसी एक भी बाशिंदे को इस ऐश ट्रे में कुछ आपत्तिजनक नहीं लगा तो हम समझ लें कि समूची स्त्री जाति के प्रति सम्मान और सहानुभूति की उम्मीद हम किस संवेदनहीन समाज से कर रहे हैं... 
 
देह। क्या सिर्फ एक देह है स्त्री, एक शरीर, एक जीव...? जाने कितनी सदियां लगेंगी, जाने कितनी निर्भयाएं मरेंगी, जाने कितनी मोमबत्तियां जलेंगी तब जाकर स्त्री को उसका मनुष्योचित श्रेष्‍ठतम सम्मान मिल सकेगा... मिल सकेगा भी या नहीं...इस तरह की पोषित होती सोच गहरे नैराश्य से भर देती है....अनपढ़-गंवारों की सोच नहीं है यह, यह उन लोगों की सोच है जो कुछ ज्यादा शिक्षित हैं, ज्यादा समझदार है, संभ्रांत कहे जाते हैं। पॉश एरिया से निकल कर 5 सितारा होटलों में बैठकर निर्णय लेते हैं.... लेकिन विक्षिप्त सोच को अपने से जुदा नहीं कर पाते हैं। 
 
कंपनी के अनुसार यह डेकोरेशन आइटम है, इसे सजावट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। जी हां अमेजन, सदियों से स्त्री भी डेकोरेशन आइटम ही है, इसे सजावट के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यही सोच जब निर्भया जैसे बर्बर बलात्कार और हत्याकांड में लोहे की रॉड, बोतल और अन्य सामग्री के रूप में प्रतिफलित होती है तब आप जैसी ही मानसिकता के लोग सबसे पहले ट्विट करते हैं और मोमबत्तियां जलाते हैं..... 
 
यह ऐश ट्रे प्रतीक है उस सोच का जिसमें स्त्री सिर्फ और सिर्फ वस्तु है उपभोग की, देह है संभोग की और जरिया है बाजार से पैसा लाने और कमाने का....मैं नहीं जानती कितने ऑर्डर बुक हुए हैं इस ऐश ट्रे के .... मगर जलती सिगरेट देह पर दागने वाले हाथों से मैं नहीं करती यह उम्मीद की वह कांपेगें अपनी सिगरेट को बुझाने के लिए जब ऐश ट्रे में राख झटकेंगे। नहीं, मुझे कोई उम्मीद नहीं इस सभ्य समाज से कि उनके जेहन में अपनी मां, 
बेटी, पत्नी, बहन इस रूप में दिखने लगेगी और वे इसे टेबल से उठाकर फेंक देंगे... नहीं... बरसों से कला के नाम पर, रचनात्मकता के नाम पर सबसे आसान कृति बन रही है स्त्री का नग्न रूप....मैं नहीं मानती कि इतने बेशर्म हम क भी नहीं हुए थे कि सिगरेट की ट्रे पर अपनी गंदी सोच को सजा कर पेश कर देंगे ..क्योंकि हमने तो जीती जागती स्त्री के गुप्तांग में भी विकृति की सिगरेट राख छिड़की है।

ऐसे उत्पाद के बहाने यह अवश्य विचारणीय है कि सोच के स्तर पर समाज का एक तबका आज भी उतना ही दरिद्र है, कंगाल है.... जितना कि अविकसित समाज में रहा करता होगा। संस्कृति और सभ्यता जैसे शब्द मुंह छुपाए जब सिसक रहे हो तब मैं कतई उम्मीद नहीं करती कि समाज विकास की इबारत लिखते हुए भी सम्मान के काव्य रचेगा...

अमेजन, तुम्हारी विकृति तुम्हें मुबारक हो, इस नीम खामोशी ओढ़े समाज को मुबारक हो....मैं भर्त्सना कर सकती हूं.... कर रही हूं ....लेकिन उत्पाद वापिस लेने से भी क्या होगा, तुम्हारी सोच कितनी उजली है यह तो हम स्त्रियां देख ही चुकी हैं....कल फिर कोई नई रचनात्मकता के साथ तुम्हारी सोच से परिचय होगा... फिर एक आलेख लिखा जाएगा..पर इससे होगा क्या.... तुम जैसे लोग तो फिर भी बचे रहेंगे... यह गंदी सोच तो फिर भी रहेगी....           
 

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