भोपाल। मध्यप्रदेश में दिलचस्प हो चुके चुनावी मुकाबले में चौथी बार सरकार बनाने के लिए अब भाजपा सरकार पूरी तरह संघ की शरण में जा पहुंची। इस बार के चुनाव में पार्टी को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। एक ओर पार्टी का बूथ स्तर का कार्यकर्ता पार्टी में अपनी उपेक्षा के चलते नाराज चल रहा है तो दूसरी ओर पार्टी को पिछले तीन चुनावों में इस बार सबसे बड़ी संख्या में बागियों का सामना करना पड़ रहा है।
पूरे देश में भाजपा में मध्यप्रदेश की पहचान पार्टी के एक मजबूत कैडर बैस पार्टी के रूप में होती है। प्रदेश में मजबूत भाजपा के संगठन को रोल मॉडल की तरह देश के अन्य राज्यों में पेश किया जाता है लेकिन इस बार के चुनाव में पार्टी के यही बूथ स्तर के कैडर का अब तक का उदासीन रवैया पार्टी को बेचैन कर रहा है। भाजपा को पहले ही इस बात की भनक थी कि इस बार कांग्रेस से ज्यादा चुनौती उसको अपनी ही पार्टी से मिलेगी।
इसलिए चुनाव से ठीक पहले पार्टी ने भोपाल सहित हर संभाग में अपने कैडर को दोबारा रिचार्ज करने के लिए कार्यकर्ता महाकुंभ और कार्यकर्ता सम्मेलन जैसे आयोजन किए, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को चुनावी मैदान में सक्रिय करने की हरसंभव कोशिश की लेकिन अब जब वोटिंग में कुछ ही वक्त शेष बचा है तब पार्टी के कार्यकर्ताओं का सक्रिय न होना पार्टी के बड़े नेताओं में घबराहट पैदा कर रहा है।
ऐसी स्थिति में पार्टी एक बार फिर संघ की शरण में है। बुधवार रात करीब 12.30 बजे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल स्थित संघ के कार्यालय समिधा पहुंचे जहां उनकी संघ के बड़े नेताओं के साथ चर्चा हुई। सूत्र बताते हैं कि संघ लगातार भाजपा को ये फीडबैक दे रहा है कि पार्टी का बूथ कार्यकर्ता अब भी पार्टी से नाराज है। संघ ने पार्टी संगठन के कामकाज को लेकर भी जो रिपोर्ट दी है वो भी ठीक नहीं है।
चुनाव में पार्टी संगठन ने टिकट बंटवारे के बाद बागी होकर चुनाव मैदान में कूदने वाले नेताओं को मनाने की तो कोशिश की लेकिन संघ उम्मीदवारी की चाहत रखने वाले जो भले नेता बागी नहीं हुए उनकी तरफ पार्टी ने कोई ध्यान नहीं दिया। पार्टी संगठन ने अपने इन कर्मठ कार्यकर्ताओं को न तो पार्टी का काम करने और जनता से संपर्क के लिए न तो जिम्मा सौंपा न ही स्थानीय स्तर के पार्टी के बड़े नेताओं ने इन्हें सम्मान दिया।
अब चुनाव के वक्त इन कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता ने पार्टी के नेताओं के माथे पर पसीना ला दिया है। ऐसे हालत में पार्टी अब पूरी तरह संघ की शरण में आ गई है। देर रात संघ कार्यालय की संघ के नेताओं से बातचीत के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुहास भगत से पूरे प्रदेश में संगठन के बारे में चर्चा की।
बताया जा रहा है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बागियों और बूथ के कार्यकर्ताओं को यहीं तरीके से हैंडल न करने पर पार्टी के प्रदेश संगठन से नाराजगी जाहिर की है। ऐसे में अब जब वोटिंग होने में पांच दिन से कम समय बचा है तो पार्टी पूरी तरह संघ के भरोसे है। वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश में हिंदू-मुस्लिम की सियासत की एंट्री के बीच अब संघ ने भी मोर्चा संभाल लिया है, बूथ पर संघ के कार्यकर्ता सक्रिय नजर आने लगे हैं।