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SC-ST एक्ट बना शिवराज के गले की फांस, मुख्यमंत्री के बयान के विरोध में उतरे एक्ट समर्थक संगठन और दल

हमें फॉलो करें SC-ST एक्ट बना शिवराज के गले की फांस, मुख्यमंत्री के बयान के विरोध में उतरे एक्ट समर्थक संगठन और दल

विशेष प्रतिनिधि

, शुक्रवार, 21 सितम्बर 2018 (23:51 IST)
भोपाल। चुनावी साल में एट्रोसिटी एक्ट को लेकर भाजपा अब फंसती नजर आ रही है। केंद्र सरकार के एक्ट में संशोधन को लेकर पहले से ही जहां सामान्य वर्ग भाजपा का विरोध कर रहा था, वहीं अब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एससी-एसटी एक्ट को लेकर दिए नए बयान के बाद नया सियासी बखेड़ा खड़ा होता दिखाई दे रहा है।
 
 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में बढ़ते विरोध प्रदर्शन के बीच पार्टी को हो रहे सियासी नुकसान को कंट्रोल करने के लिए कहा कि प्रदेश में एक्ट का दुरुपयोग नहीं होगा और प्रदेश में बिना जांच के कोई गिरफ्तारी नहीं होगी। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद अब एससी-एसटी समाज भी गुस्से में आ गया है। एससी-एसटी वर्ग से जुड़े संगठनों ने साफ किया है कि एक्ट से कोई भी छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
 
'वेबदुनिया' से बात करते हुए अजाक्स के प्रांतीय महासचिव एसएल सूर्यवंशी ने साफ कहा कि एक्ट में कोई भी छेड़छाड़ मंजूर नहीं होगा, वहीं अजाक्स 23 सितंबर को भोपाल में होने वाले सम्मेलन में आगे की रणनीति तैयार करेगी। संगठन एक्ट के समर्थन में एक प्रस्ताव लाने की तैयारी में है, वहीं एससी-एसटी वर्ग से जुड़े कई संगठनों ने भी साफ किया है कि एक्ट से कोई भी छेड़छाड़ समाज बर्दाश्त नहीं करेगा, वहीं इस मुद्दे पर अब सियासत भी गर्मा गई है।
 
'वेबदुनिया' से बात में बसपा विधायक सत्यप्रकाश सवार ने कहा कि एक्ट को लेकर भाजपा पूरी तरह कन्फ्यूज हो चुकी है। बसपा विधायक ने एससी-एसटी वर्ग को लेकर भाजपा के दो तरह की बातों की तुलना संतुलन खोने से की है। बसपा विधायक ने सीधे मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव के दबाव में कभी मुख्यमंत्री आरक्षण को लेकर 'माई का लाल' जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं, तो कभी एक्ट का दुरुपयोग होने से रोकने की बात करते हैं।
 
बसपा विधायक ने पूरे मामले को लेकर भाजपा पर दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगाया है। बसपा इस पूरे मुद्दे को भाजपा का चुनावी हथकंडा मानती है, वहीं मुख्यमंत्री के नए बयान के बाद आरक्षित समाज पार्टी ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि एट्रोसिटी एक्ट को कमजोर करके मुख्यमंत्री ने दलित और आदिवासियों के साथ धोखा किया।

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