मध्यप्रदेश में अब तक जैसे रुझान मिलने लगे है, उसमें बसपा और निर्दलीय किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं, जहां बसपा ने अभी पूरी तरह पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस ने बसपा से संपर्क करना शुरू कर दिया है जबकि निर्दलीय जीतकर आने वाले विधायकों पर कांग्रेस और बीजेपी ने डोरे डालने शुरू कर दिया है।
ताजा रुझानों के अनुसार मध्यप्रदेश में त्रिशंकु विधानसभा के आसार नजर आ रहे हैं। पिछले 15 वर्षों से सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के 14 मंत्री इस समय पीछे चल रहे हैं। 2013 के विस चुनावों में 165 सीटों पर काबिज होने वाली भाजपा की इस समय हालत ठीक नहीं दिख रही है।
अगर मध्यप्रदेश में त्रिशुंक विधानसभा के हालात बनते हैं तो बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाते नजर आएंगे।
बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों ने निर्दलीय उम्मीदवारों से बातचीत शुरू कर दी है। 'वेबदुनिया' ने पहले ही बताया था कि बीजेपी सरकार बनाने के लिए प्लान बी पर काम कर रही है, वहीं नतीजे आने के बाद मध्यप्रदेश बीजेपी के बड़े नेताओं मे निर्दलीयों से संपर्क शुरू कर दिया है।
बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने भाजपा को समर्थन देने से इंकार करते हुए अपना इरादा जता दिया है। दल-बदल की आशंका को देखते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने अपने संभावित विजयी उम्मीदवारों को दिल्ली बुलवा लिया है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्विटर पर लिखा है कि 'जब एक और एक मिलकर बनते हैं ग्यारह... तब बड़े-बड़ों की सत्ता हो जाती है नौ दो ग्यारह...'। उन्होंने कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा भी कर दी है।
सपा के महासचिव रामगोपाल यादव ने कांग्रेस के समर्थन का ऐलान कर दिया है। कुल मिलाकर अब विधानसभा चुनाव 2018 के परिणामों में लोकसभा 2019 के गठबंधन की झलक देखी जा सकती है।
मप्र कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मायावती से संपर्क करने की खबर मिल रही है। अगर नतीजों में बीजेपी और कांग्रेस में से किसी को बहुमत नहीं मिलता है तो राज्यपाल की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाएगी।