भोपाल। नवंबर में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में अगर सियासी दल किसी वर्ग के वोटरों की सबसे अधिक पूछ-परख कर रहे है तो वे हैं युवा वोटर्स। इस बार विधानसभा चुनाव में युवा वोटर्स विनिंग फैक्टर बनने जा रहे हैं। यानी जिस ओर युवा वोटर होंगे, वही सियासी दल सत्ता के गलियारों तक पहुंचेगा। शायद इसी कारण राजनीतिक दल जिसको सबसे अधिक रिझाने का काम कर रहे हैं तो वे हैं युवा।
कैसे युवा वोटर्स बनेंगे विनिंग फैक्टर : विधानसभा चुनाव में इस बार सूबे में पांच करोड़ से अधिक वोटर अपने मतों का प्रयोग करेंगे। इन पांच करोड़ वोटर्स में से डेढ़ करोड़ से अधिक वोटर्स 29 साल से कम उम्र के हैं यानी कुल वोटरों का 30 प्रतिशत से अधिक वोटर्स युवा हैं, जो सरकार बनाने में अपनी भूमिका अदा करेंगे। पंद्रह लाख से अधिक वोटर्स ऐसे हैं जो पहली बार वोट करेंगे। यानी प्रदेश के कुल वोटर्स का तीन फीसदी से अधिक वोटर ऐसे हैं जो पहली बार अपने वोट की ताकत को पहचानेंगे।
अगर बात करें वोट के चुनावी गणित की तो चुनाव में सत्ता हासिल करने वाली पार्टी और उसको कड़ी टक्कर देने वाली पार्टी के बीच मतों का अंतर पांच से छ: फीसदी के बीच होता है जब मुकाबला नजदीकी होता है तो ये अंतर एक से दो फीसदी के करीब होता है। ऐसे में युवा वोटरों इस बार विनिंग फैक्टर का काम कर सकता है। इसी के चलते युवा वोटरों को रिझाने के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने अपने सियासी दांव चल रही है। युवाओं को साधने के लिए सियासी दल हर वो दांव-पेंच लगा रहे है, जिससे कि युवा उनके समर्थन में वोट करें।
कांग्रेस युवा उम्मीदवारों पर दांव खेलने की तैयारी में : मध्यप्रदेश में कांग्रेस इस बार विधानसभा चुनाव में पूरी तरह युवा कार्ड खेलने की तैयारी में है। कांग्रेस चुनाव में अधिकतर युवाओं को मैदान में उतराने की तैयारी में है। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी बार-बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इस बार पार्टी युवा को अधिक से अधिक मौका देगी। जीतू की मानें तो पार्टी आधे से अधिक टिकट युवाओं को देने की तैयारी में है, वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी कह चुके हैं कि इस बार पार्टी युवाओं को ज्यादा मौका देगी।
पार्टी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को यूथ आईकॉन के रूप में पेश कर रही है। युवाओं को साधने के लिए कांग्रेस सत्ता में आने पर बेरोजगारी युवाओं को नौकरी देने का वादा भी कर रही है। कांग्रेस की हर सभा में राहुल गांधी समेत कांग्रेस के सभी नेता युवाओं से जुड़े मुद्दे जैसे व्यापम घोटाला, पीएएसी घोटाला और बेरोजगारी के आंकड़ों में रिकॉर्ड बढोतरी को लेकर शिवराज सरकार और भाजपा को जमकर घेर रहे हैं।
मिलेनियम वोटर्स के भरोसे भाजपा : युवा वोटर्स की ताकत को देखते हुए भाजपा ने इन्हें मिलेनियम वोटर के रूप में अलग से पहचान दी है। पार्टी ऐसे वोटर्स तक पहुंचने के लिए अपने युवा मोर्चा को जिम्मेदारी सौंपी है।
भाजपा युवा वोटरों की ताकत को इसलिए भी अच्छी तरह जानती है क्योंकि 2014 में युवा वोटरों ने भाजपा को प्रचंड बहुमत दिलाने में काफी मदद की थी, वहीं केंद्र की मोदी सरकार युवाओं को खुद का रोजगार लगाने के लिए कई योजनाओं की सौगात पहले ही दे चुकी है।
शिवराज सरकार ने इसी युवा वोटरों को रिझाने के लिए कई तरह की घोषणाए पहले ही कर चुके हैं। कांग्रेस से मुकाबला करने के लिए पार्टी अपने कई मौजूदा विधायकों के टिकट काट कर युवाओं को मौका देने की तैयारी कर रही है।